सांस्कृतिक कलाकारों ने हमेशा से ही अपनी कला के माध्यम से हमारी संस्कृति को बचाने की कोशिश की है। इसी कड़ी में नैनीताल की दीप्ति तिवारी भट्ट ने लॉक डाउन के दौरान घर की दीवारों, चाय की केतली, तोली, लालटेन, गमले आदि बर्तनों पर पहाड़ी संस्कृति को उकेर कर संदेश दे रही है कि पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ की हमारी अपनी पहाड़ी संस्कृति को अपनाया जाए। पहाड़ी संस्कृति का मूल ही प्राकृतिक सौंदर्य से है।
स्टाफ हाउस निवासी दीप्ति ने लॉक डाउन में अपने घर की दीवारों पर कुमाऊनी युवतियों की पेंटिंग बनाने के साथ ही केतली और केटल पर भी पेंटिंग की है।
इसके अलावा पुराने बर्तनों गमलों पर भी पेंटिंग का कार्य कर रही हैं। साथ ही दरवाजों के चोखट पर देवी देवताओं के चित्र, हाथी , मोर, शेर आधी के चित्रों की नक्काशी का काम भी कर रही हैं।
दीप्ति ने बताया कि उन्होंने उत्तरा क्राफ्ट नाम से फेसबुक व इंस्टाग्राम पर पेज भी बनाया है। उनके द्वारा निर्मित सभी सामानों के लिए एक एनजीओ से भी डीमांड आयी है। और उन्होंने बताया कि वह लम्बे समय से एपण ( पेंटिंग ) निर्माण का कार्य भी कर रही हैं। और अगर इस कार्य को सही तरीके से किया जाए तो यह एक रोजगार परख कार्य भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के जरिए वो पहाड़ की विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का प्रयास आगे भी करती रहेंगी।