अभी हाल ही में मामला सामने आया है महिला जो की रिखिणीखाल चिकित्सा केन्द्र में भर्ती थी।जहाँ प्रसव के बाद उसकी हालत बिगड़ गई । महिला को काफी ब्लीडिंग होने लगी जिसके बाद डॉक्टर ने महिला को उच्च चिकित्सा केन्द्र कोटद्वार को रैफर किया। परन्तु इस बीच महिला की मृत्यु हो गई।
स्वाति ध्यानी नामक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर जब महिला को रिखिणीखाल चिकित्सा केन्द्र में लाया गया तो उस वक्त डॉक्टर ने बच्चे का मूवमैंट चैक किया। ऐसा लगता है जब महिला को दर्द हुआ तो उस वक्त बच्चे का मूवमैंट रुक गया। ऐसी परिस्थिति में आपरेशन द्वारा बच्चे को बाहर निकाला जाता है। परन्तु रिखिणीखाल में आपरेशन की सुविधा न होने के चलते आपरेशन संभव नहीं था। डॉक्टर ने महिला को ग्लूकोज चढाया जिससे मृत बच्चा तो बाहर आ गया पर महिला को ब्लीडिंग होने लगी। डॉक्टर ने ब्लीडिंग रोकने का प्रयास किया। पर जब वह ब्लीडिंग रोकने में नाकाम रहा तो महिला को उच्च चिकित्सा केन्द्र कोटद्वार रेफर कर दिया गया। रिखिणीखाल से उच्च चिकित्सा केन्द्र कोटद्वार पहुंचने में तीन- चार घंटे लग जाते हैं। 108 एंबुलेंस सेवा भी यहाँ प्रभावशाली नहीं है ।ऐसी नाजुक परिस्थितियों में मरीज़ को समय पर स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाने में देरी हो जाती है और मरीज़ रास्ते में ही दम तोड़ देता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।चिकित्सा केन्द्र में आपरेशन की सुविधा न होना। इन सभी असुविधाओं के चलते दो मासूमों की जान चली गई।
सरकार द्वारा हर ब्लाक में चिकित्सा केन्द्र तो खोले गए हैं परंतु वहां सुविधाओं का आभाव है। अच्छी चिकित्सा के लिए पहाडों में दो ब्लाक के सैंटर में एक उच्च चिकित्सा केन्द्र होना चाहिए। जहां सारी सुविधाएं मौजूद हों।
जानकारी है कि रिखिणीखाल चिकित्सा केन्द्र को उच्च चिकित्सा केन्द्र में अपग्रेड किया गया है लेकिन सिर्फ नाम के लिए। अपग्रेड तो तब माना जाएगा जब यहां सारी सुविधाएं मौजूद होगी। आगे से ऐसी कोई घटना न हो इसके लिए हम सरकार से स्वास्थ सेवाओं को पहाडों में सुधारने का अनुरोध करते हैं। पहाड़ के सभी क्षेत्रों का हाल बस यही है कि यहां के लोगों की जिन्दगी राम भरोसे चल रही है।