11वीं गढ़वाल राइफल के जवान हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी पिछले कुछ समय से कश्मीर के गुलमर्ग में सीमा पर निगरानी के लिए तैनात थे। गुलमर्ग में भारी बर्फबारी के दौरान गश्त कर रहे राजेन्द्र नेगी बीती 8 जनवरी को बर्फ में फिसल गए। जिसके बाद से वे लापता हो गए। आशंका जताई गई थी कि हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान की सीमा में चले गए। हालाँकि इस बारे में न तो पाकिस्तान की तरफ से कोई जानकारी दी गई और नहीं भारतीय सेना ने इसकी पुष्टि की।
राजेंद्र सिंह नेगी मूलरूप से उत्तराखंड के चमोली जनपद के आदिबद्री क्षेत्र के पजियाणा गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में उनकी पत्नी व तीन बच्चे अंबीवाला स्थित सैनिक कॉलोनी, देहरादून में रहते हैं। राजेंद्र सिंह नेगी वर्ष 2002 में गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए थे।
करीब 6 महीने पहले बीते 8 जनवरी को पाक सीमा पर चौकसी के दौरान लापता हुए 11वीं गढ़वाल राइफल के जवान हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी को खोजने में नाकाम रही सेना ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया है। छह महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक लापता हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी की न बॉडी मिली है और न उनका कहीं सुराग लग पाया है। जिसके बाद अब सेना की ओर से लापता सैनिक राजेंद्र नेगी की पत्नी को एक पत्र भेजा गया है। जिसमें पति को ऑन ड्यूटी बैटल कैजुअल्टी मानते हुए शहीद घोषित करने की बात कही गई है।मगर पति की सकुशल घर वापसी की उम्मीद कर रही पत्नी और बेटे से फिर से मिलने को बेताब बूढ़े मां बाप यह बात मानने को तैयार नहीं है कि राजेंद्र नेगी शहीद हो गए हैं।परिवार वालों का कहना है जब तक वह राजेन्द्र का पार्थिव शरीर नहीं देख लेते तब तक वह उम्मीद नहीं छोडेंगे। पत्नी का कहना है उनके पति अभी भी सेना में ड्यूटी कर रहे हैं।परिवार की ओर से कई बार राज्य तथा केन्द्र सरकार से लापता बेटे की तलाश में मदद की गुहार लगाई गई मगर सरकार ने आश्वासन के अतरिक्त कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।