“मेरी माँ”- दीप प्रकाश माहीं की सुंदर प्रस्तुति

*मेरी माँ*
माँ तूने कायनात एक कर दी मुझे लाड़ प्यार देने में,
पहले कोख़ में फिर अपने आँचल से लगा के रखा..
की तपस्या तूने ऐसी, ना दिन देखा ना रात देखी,
तू हर बार साया सा बनकर मेरे साथ रही..
लाख बुरा ही सही मैं, लेक़िन कभी ना टोका तूने
जाने कितनी बार मैंने नींद तेरी तोड़ी होगी..
ना जाने लाख दफा खाना तूने छोड़ा होगा
कि बेटा मेरा भूखा होगा..
वैसे तू औऱ प्यार तेरा मोहताज नहीं दिन किसी ख़ास का
तू हँसे तो दिन मेरा, तू खिले तो रात मेरी..
🖋️ Deep Prakash Mahi…

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