भारत ‘मेक इन इंडिया’ के दम पर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रहा है। यदि इन देशों की ओर से लड़ाई की कोई पहल होती है तो भारत उन्हें करारा जवाब देगा। ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत तैयार हो रहे रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं आयुद्ध निर्माणी बोर्ड द्वारा निर्मित 155 मिमी की आर्टिलरी गन, जिसका नाम ‘धनुष’ रखा गया है और उन्नत लाइट हेलीकॉप्टर ‘ध्रुव’ की परफॉरमेंस शानदार बताई जा रही है।इनके अलावा हल्के लड़ाकू विमान तेजस और डोर्नियर डू-228 व ऐंटी सबमरीन वारफेअर कॉरवेट (एएसडब्लूसी) आदि उपकरण दुश्मन को सबक सिखाने में अहम रोल अदा करेंगे।
इस योजना पर 22,800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। गत तीन वर्ष में सरकार ने पूंजी अर्जन के 138 प्रस्तावों को आवश्यकता की स्वीकृति ‘एओएन’ दी है। इनकी मदद से स्वदेशी सोर्सिंग और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। थर्मल इमेजिंग नाइट विजन उपकरण भी मेक इन इंडिया योजना का हिस्सा रहा है। रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक के अनुसार, केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को गति प्रदान के लिए कई योजनाएं स्वीकृत की हैं।एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एवं कंट्रोल प्रणाली, एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत मिसाइलों, रडारों, सोनार व टारपीडो आदि को सेना में शामिल किया गया है।
मेक इन इंडिया के रक्षा उत्पादों का होता है निर्यात
रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा जारी प्राधिकार/लाइसेंस और डीपीएसयू/ओएफबी द्वारा कई उपकरणों का निर्यात किया जा रहा है। इनमें फास्ट पेट्रोल वेसल, तटीय निगरानी प्रणाली, लाइट वेट टारपीडो, डीओ 228 विमान, पहिएदार पैदल सेना वाहक, लाइट स्पेशलिस्ट वाहन, माइन प्रोटेक्डेट वाहन, पैसिव नाईट साईटस, बैटल फील्ड सर्विलांस रडार विस्तारित रेंज, एकीकृत एंटी सबमरीन वारफेअर, लाइटवेट टारपीडो लांचर व इसके पार्ट्स, जेन उन्नत हथियार सिम्युलेटर, व्यक्तिगत सुरक्षा आइटम, 155 मि.मी आर्टिलरी
गन एम्युनीशन, छोटे हथियार एवं गोला बारूद आदि प्रमुख हैं।
वायु में वार करने वाला मिसाइल सिस्टम, अटैक सबमरीन ‘आईएनएस कलवरी’, आईएनएस चेन्नई, वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट्स (डब्लूयूजेएफएसी), ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (ओवीपी), वरुणास्त्र हैवी वेट टॉरपीडो आदि शामिल हैं।