अल्मोड़ा की शान बोगन बेलिया फूल से लदे देवदार वृक्ष को समर्मित एक छोटी सी कविता👉
वो सारी यादें संग अपने तुम लेे गए यूं क्यूं तुम हम लोगों से दूर चले गए
कि ये साथ हमारा सब छूट गया बचपन का था रिश्ता टूट गया
तुम्हारे साए में हम बैठा करते थे तुमसे भी तो रोज ऐंठा करते थे
वो याराना हमसे क्यूं रूठ गया आज आंसुओं का बांध फूट गया
वो रंग बिरंगे फूल खिला करते थे रोज यहां हम लोग मिला करते थे
तुम्हारी मजबूती तो मिशाल थी रहती बेलों की तुम पर जाल थी
परिंदों का रोज आना जाना था रोज रूठे बिछड़ों का मनाना था
वो गिलहरियां अब कहां जाएंगी क्या गौरैया अब फिर से आएंगी
तुमसे मन की बातें साझा करते थे जब हम रोज यहां से गुजरते थे
अल्मोड़ा नगर की तो तुम शान थे बच्चे बूढ़े सब लोगों का सम्मान थे
हम लोगों की तो पहचान चली गई मानो जैसे खुद की जान चली गई
वो सारी यादें संग अपने तुम लेे गए यूं क्यूं तुम हम लोगों से दूर चले गए।
मदन मोहन तिवारी,पथिक