आज दिनांक 22/7/2020 को कुमाऊं विश्वविद्यालय सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा के समाजशास्त्र विभाग द्वारा ‘ कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक संकट: समस्या और समाधान ( बेरोजगारी के संदर्भ में)’ विषय पर विभागीय सदस्यों और छात्रों के बीच वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार का उद्घाटन मुख्य वक्ता प्रोफेसर इला साह, आयोजन सचिव डॉ रेनु प्रकाश आदि ने किया। मुख्य वक्ता के तौर पर अपनी बातें रखते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के समाजशास्त्र विषय की संयोजक प्रोफेसर इला साह ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में कोरोना का संकट बना हुआ है। यह विश्व के लिए भयंकर दौर है, जिसने सबकी आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है। भारत के संदर्भ में कहें तो इसके कारण मूल्यों का ह्रास हुआ है, सामाजिक ताने-बाने में बिखराव हुआ है, घरेलू हिंसा आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं,जो चिंतनीय है। उन्होंने आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस काल में बेरोजगारी की दर निरंतर बढ़ रही है। ऐसे में सभी के लिए रोजगार मुहैया कराना चुनोतिपूर्ण है। उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की बात कहीं और कहा कि हमें स्वरोजगार को अपनाकर स्वयं रोजगार के कपाट खोलने पड़ेंगे। उन्होने कहा कि कोरोना के कारण जहां मानव को समस्याएं बढ़ी हैं वहीं परिवार को एक करने में, पर्यावरण को शुद्ध बनाने में इसका सकारात्मक पहलू भी देखने को मिल रहा है।
आयोजक सचिव डॉ रेनू प्रकाश ने कहा कि कोरोना से घबराने की नहीं, अपितु इसको चुनोती के रूप में देखकर हमें क्षेत्रीय उत्पादों को बढ़ावा देकर बेरोजगारी को कम करने के प्रयास होंगे। वेबिनार में अपने शोध पत्रों का प्रस्तुतिकरण करते हुए डॉ हेमा जोशी ने कहा कि लोकल के उत्पादों और लोकल में रोजगार को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। सावित्री जोशी ने कहा कि हमें अपने आस-पास छोटे मझोले उद्योगों को बढ़ावा देकर बेरोजगारी कम करने के प्रयास करने होंगे। आशीष पंत ने कहा कि कोरोना से सीख लेनी जरूरी है। मानसी, प्रतिभा पंत और राधा अधिकारी ने कहा कि कोरोना की वजह से रोजगार गए हैं, ऐसे में बेरोजगारी बढ़ेगी। आभार व्यक्त करते हुए डॉ ललित चन्द्र जोशी योगी ने कहा कि बेरोजगारी जरूर आयी है, ऐसे में सरकार, समाज और समुदाय को एक दूसरे से सहयोग लेकर बेरोजगारी दूर करनी होगी। वेबिनार में डॉ दया उप्रेती, डॉ कुसुमलता, डॉ पुष्पा वर्मा, डॉ रश्मि टम्टा, सरिता त्रिकोटी, ऋचा, रश्मि गोयल, राखी केसरी, फरहा खान, डॉ लीलेन्द्र, चेतना आर्य, चन्द्रनाथ साह, निष्ठा साह, सौन्दर्य साह, निक्कू आदि शिक्षक, शोधार्थी, और स्नातक-स्नातकोत्तर के विद्यार्थी शामिल हुए और उन्होंने अपनी बात रखी। संचालन डॉ रेनु प्रकाश ने किया।