इस साल रक्षाबंधन पर ऐपण राखी से सजेगी भाई की कलाई -एक तरफ जहाँ लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में आमदनी के रास्ते बंद हो गए हैं तो वही गेठिया गांव की जागृती व चेतना स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने राखी बनाने का निर्णय लिया है।
यह राखियां खास इसलिए भी है। क्योंकि यह कुमाऊंनी संस्कृति के प्रतीक ऐपण पर आधारित हैं। जिस वजह से हमारी कुमाऊंनी संस्कृति का विस्तार तो होगा ही वहीं इनकी आमदनी भी होगी।
यह सांस्कृतिक प्रयोग ज्योलीकोट – भवाली मार्ग से सटे गेठिया ग्राम निवासी विनीता बोरा कर रही हैं। इन राखियों की कीमत मात्र 10₹ से 100₹ तक हैं।
बना चुकी हैं कई उत्पाद
विनीता इस सांस्कृतिक कला में कई उत्पाद बना चुकी हैं जैसे ईयर रिंग्स, नेम टेग्स, चौकी, मेजपोश, कुशन, पॉट्स, बॉटल पेंटिंग।