ये माह भगवान भोले शंकर को समर्पित होता है। भगवान शंकर की बात करे और उनके प्रिय नाग को भूल जाए ऐसा नही हो सकता। तो आज नागपंचमी है श्रद्धालु नागदेवता की पूजा कर दुग्धाभिषेक कर रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए पंडितों ने श्रद्धालुओं से घर पर ही पूजा करने की अपील की है। इस दिन नागों की आराधना की जाती है तथा व्रत भी रखा जाता हैं। कहा जाता है कि इस व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी की कथा
नाग पंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है इसका वर्णन कई तरह से किया गया है। भविष्यपुराण के अनुसार, जब सागर मंथन हुआ था तब नागों ने अपनी माता की आज्ञा नहीं मानी थी। इसके चलते नागों को श्राप मिला था। नागों को कहा गया था कि वो राजा जन्मजेय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। इससे नाग बहुत ज्यादा घबरा गए थे। इस श्राप से बचने के लिए सभी नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंचें। उन्होंने ब्रह्माजी से सारी बात कही और मदद मांगी। उन्होंने कहा कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे, तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। यह उपाय ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को बताया था।जब महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था तब सावन की पंचमी तिथि थी। आस्तिक मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था। इसके बाद आस्तिक मुनि ने कहा था कि जो कोई भी पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करेगा उसे नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है।
इसके अलावा भी कई कथाएँ प्रचलित है।