राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने में असफल रहने के बाद सचिन पायलट के पास कोई विकल्प बाकी नहीं बचा है। इसलिए कहा जा रहा है वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पहला यह कि यदि उनकी योजना अपनी पार्टी बनाने की है तब उन्हें यह देखना होगा कि राजस्थान की राजनीति में तीसरी पार्टी के लिए कोई स्थान नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में 2 पार्टी सिस्टम ही कामयाब रहा है।
दूसरी बात यह है कि सचिन गुर्जरों को अपनी पार्टी में ला सकते हैं मगर पिछले चुनावों में ज्यादातर गुर्जरों ने भाजपा का साथ दिया था तथा भाजपा ने भी उनसे मुख्यमंत्री पद देने का कभी भी वायदा नहीं किया है। इसके अलावा सचिन को यह भी मालूम है कि भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कोई ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देखी है। जब तक वसुंधरा राजे सिंधिया तथा गजेन्द्र सिंह शेखावत की भाजपा में सशक्त पकड़ है तब तक सचिन के लिए कोई मौका नहीं है।भाजपा के साथ हाथ मिलाने के कारण उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के कैबिनेट से बाहर होने के बाद राजस्थान की कांग्रेस इकाई ने भाजपा के खिलाफ राज्य भर में शनिवार को प्रदर्शन किए। जयपुर में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचडिय़ा ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। वहां पर राजनीतिक समारोह में कम दिखाई देने वाले मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत नजर आए। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह उन चीजों को राजस्थान में दोहरा रही है जिसे वह कर्नाटक तथा मध्यप्रदेश में कर चुकी है। वैभव ने राजस्थान के गवर्नर के विधानसभा सत्र को बुलाए जाने से इंकार करने के लिए उनकी ङ्क्षनदा की और कहा कि यह लोकतंत्र को एक और झटका है।