मोदी सरकार देश में इस वक्त कुल 28 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) में हिस्सेदारी बेचने में जुटी है। सरकार ने इन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने को लेकर सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान दे दी है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है।
इसी क्रम में अब तक की सबसे बड़ी खबर ये है कि देश की दिग्गज तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड विदेशी कंपनियों के हाथों में जा सकती है। कंपनी में 52.98 फीसदी की हिस्सेदारी को खरीदने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट दाखिल करने की आखिरी तारीख सरकार ने 31 जुलाई तय की है।रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरामको, अबू धाबी नेशनल ऑइल कंपनी, रूस की रोजनेफ्ट और अमेरिका की कंपनी Exxon Mobil बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है। ये सभी कंपनियां बीपीसीएल की हिस्सेदारी की नीलामी में हिस्सा ले सकती हैं। हालांकि भारत की कंपनियां भी इस मामले में पीछे नहीं है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भी बोली में हिस्सा ले सकती है। फिलहाल इस डील के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट की डेडलाइन को दो बार बढ़ाया जा चुका है और 31 जुलाई आखिरी तारीख तय की गई है।
सरकार ने देश की महारत्न तेल कंपनी में 53.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है। इसके अलावा मैनेजमेंट कंट्रोल का भी ट्रांसफर किया जाएगा। बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने के लिए सरकारी कंपनियों पर रोक लगाई गई है, जबकि वैश्विक कंपनियों और निजी सेक्टर की भारतीय कंपनियों को इसकी मंजूरी दी गई है। कंपनी में निवेशकों को कम से कम 10 अरब डॉलर की रकम का निवेश करना होगा।इस बीच भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने कर्मचारियों के लिए वीआरएस स्कीम लॉन्च की है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी ने इस बीच भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों के लिए वीआरएस स्कीम लॉन्च की है। कंपनी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि यह वीआरएस स्कीम ऐसे कर्मचारियों के लिए लॉन्च की गई है, जो प्राइवेट मैनेजमेंट के साथ काम नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘कुछ कर्मचारियों को लगता है कि कंपनी के निजी हाथों में जाने से उनकी भूमिका पहले जैसी नहीं रह जाएगी। इसलिए उन्हें कंपनी छोड़ने का विकल्प दिया गया है।’यह वीआरएस स्कीम 23 जुलाई से शुरू हुई है और 13 अगस्त तक चलने वाली है।