हम सभी जानते हैं कि आज हमारा पूरा देश कोविड-19 से जंग लड़ रहा है और वहीं भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी तनाव जारी है। इन सबके बीच भारतीय वायुसेना (IAF) में कल फ्रांस से 5 राफेल लड़ाकू विमान हमारे भारत आए।
इन विमानों की खासियत उसे पूरी दुनिया में अलग बनाती है। यह चीन के J-20 लड़ाकू विमान का जवाब है जबकि पाकिस्तान के F-16 विमान से दो कदम आगे है। यानी भारतीय वायुसेना को हवा का ये जांबाज जबरदस्त ताकत देने वाला है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि राफेल के आने से भारत की ताकत कई गुना बढ़ चुकीं है। 70 लाख कीमत वाली हैमर मिसाइल से लैस आसमान में अजेय बन जाता है।
राफेल की उड़ान ही उसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है। 2,130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार उसे दूसरे लड़ाकू विमानों से अलग बनाता है। रेडार से बचने की क्षमता और दूर से दुश्मनों पर बाज सी नजर रखते हुए हमला करने में राफेल को खास महारत हासिल है। अभी तक रूस से मिले सुखोई विमानों के जरिए चीन को काउंटर कर रहे भारत के पास राफेल के आने से बड़ी ताकत हासिल हुई है।
कई विशेषज्ञ भारतीय राफेल को चीन के J-20 के टक्कर का मान रहे हैं। स्टील्थ कैटिगरी का चीनी लड़ाकू विमान के बारे में अभी दुनिया को उतनी जानकारी नहीं है जितनी राफेल के बारे में है। राफेल को हवा का सिकंदर कहा जाता है।
सामरिक विशेषज्ञ मारूफ रजा के अनुसार, राफेल की तेज उड़ान उसे दुनिया में सबसे अलग बनाती है। इसके अलावा अपने समकक्षों की तुलना में यह अधिक खास है।
राफेल के हैमर मिसाइल से लैस होने के कारण भारत को बड़ी बढोत्तरी हासिल हो चुकी है। यह मिसाइल किसी भी प्रकार के बंकर या सख्त सतह को पल में मिट्टी में मिलाने की ताकत रखता है। यह किसी भी स्थिति में बेहद उपयोगी है। बेहद कठिन पूर्वी लद्दाख जैसे इलाकों में इसकी मारक क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है। इस घातक हथियार की मारक क्षमता बड़ी तगड़ी है। यह 20 किलोमीटर से 70 किलोमीटर की दूरी तक अचूक निशाना लगाने में माहिर है। जिस लड़ाकू विमान से हैमर को फायर किया जाता है वह उसकी मारक दूरी के कारण ही दुश्मन की एयर डिफेंस से बचने में सफल रहता है। क्योंकि दूरी के कारण लड़ाकू विमान दुश्मन के रेडार पर नजर नहीं आता है। मिसाइल किट में अलग-अलग साइज के बम भी फिट किए जा सकते हैं। ये 125 किलो, 250 किलो, 500 किलो यहां तक कि 1000 किलोग्राम के भी हो सकते हैं
राफेल में कई अचूक हथियार लग सकते हैं। जो 300 किलोमीटर तर मार करने वाली स्कल्प क्रूज मिसाइल इसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है। Meteor एयर-टू-एयर मिसाइल का निशाना चूकता नहीं है। MICA एयर-टू-एयर मिसाइल इसे दुश्मनों पर जीत दिलाती है।
राफेल लड़ाकू विमान 4.5 पीढ़ी का विमान है। यह रेडार को चकमा देने में माहिर माना जाता है। भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। अभी तक भारतीय वायुसेना में शामिल मिराज-2000 या सुखोई लड़ाकू विमान या तो तीसरी या फिर चौथी पीढ़ी के विमान है।
राफेल लड़ाकू विमान एयरक्राफ्ट कैरियर से भी उड़ान भर सकता है। यह खोजी अभियान से लेकर दुश्मन के इलाके में भीतर तक जाकर हमला करने की क्षमता रखता है। भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 60 हजार करोड़ रुपये के 36 राफेल विमानों की डील की थी। इसमें 30 फाइटर जेट होंगे जबकि 6 ट्रेनर विमान होंगे।
वायुसेना ने राफेल के रखरखाव के लिए भी बड़ी तैयारी की गई है। वायुसेना ने करीब 400 करोड़ रुपये खर्च कर राफेल के लिए शेल्टर, हैंगर और मेंटेनेंस फैसलिटी बनाई है।
भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश है जिसने राफेल विमान की ताकत हासिल कर ली है। यह राफेल विमान फ्रांस के अलावा, मिस्र और कतर के पास ही हैं।