आज जारी एक बयान में पूर्व एनआरएचएम के उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि आज पर्वतीय जनपद अल्मोड़ा लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा है, जहां राज्य व केंद्र सरकार राज्य के मैदानी भागों में राष्ट्रीय राजमार्ग को उत्कृष्ट बनाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर पर्वती राज्य के पर्वतीय जनपदों के साथ लगातार इसकी उपेक्षा की जा रही है। कर्नाटक ने कहा कि अनेकों ज्ञापनों, धरना-प्रदर्शन व चक्का जाम के पश्चात भी अल्मोड़ा विधानसभा की समस्त सड़कों की हालत अत्यंत दयनीय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा के संपर्क मार्ग आज मौत के कुएं के रूप में हम सबके सामने आ रहे हैं। गैस गोदाम वाले संपर्क मार्ग में कभी भी कोई बहुत बड़ा हादसा हो सकता है, वह सड़क राहगीरों और वाहन चालकों के लिए मौत के कुएं के समान है जिससे दुर्घटनाओं का भी खतरा अधिक बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर बाल्मीकि बस्ती पाताल देवी में भी सड़क का हाल अत्यंत भयावह हो गया है, पर्यटक नगरी कौसानी व रानीखेत को जाने वाले मार्ग जिनमें स्यालीधार से नीचे कोसी के आगे सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय हालत में है। उन्होंने बताया कि जब भी व क्षेत्र भ्रमण को निकलते हैं,तो स्थानीय नागरिक लगातार इन सड़कों की दुर्दशा की स्थिति से उन्हें अवगत करा रहे हैं। विभागीय अधिकारियों को बार-बार संपर्क करने के पश्चात अभी तक कोई समाधान निकलता दिख नहीं रहा है। माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करने के पश्चात भी सड़क की दुर्दशा उसी प्रकार से बनी हुई है, जो अपने आप में दुर्भाग्य का विषय है। सोचने वाला विषय यह भी है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा इन सड़कों की सुध नहीं ली जा रही है। अनेकों हादसे होने के पश्चात यह प्रतीत होता है सरकार- शासन और विभाग किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है, जिससे बड़ी जनहानि हो। महिलाएं, बुजुर्ग इन सड़क के गड्ढों से उत्पन्न खतरों से परेशान हैं। जहां दुपहिया चालक दुर्घटनाओं से परेशान हैं वहीं चार पहिया वाहनों के मालिकों को लगातार वाहनों में नुकसान/क्षति हो रही है। कर्नाटक ने कहा कि यदि इसी प्रकार से जनता की अनसुनी की जाएगी तो उन्हें मजबूरन इन क्षति ग्रस्त सड़कों के लिए एक वृहद आंदोलन को अंजाम देना पड़ेगा, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन एवं सरकार की होगी।