मातृभाषा उर्दू को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल करने की मांग

रिपोर्ट – आरती बिष्ट
विभिन्न राष्ट्रीय संकट और कोविड-19 जैसी खतरनाक महामारी वाली परिस्थितियों के बीच बिना किसी चर्चा के नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी देना हर नागरिक के मन में संदेह पैदा करता है। उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सैयद अहमद खान ने एक बयान में केंद्र सरकार से मांग की कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को संसद में बिना चर्चा के पारित न किया जाए ताकि राष्ट्र को विश्वास में लिया जा सके।
नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए डॉक्टर सैयद अहमद खान ने यह भी कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा को महत्व दिया गया है लेकिन उर्दू को मातृभाषा के रूप में शामिल नहीं किया गया है जो निश्चित रूप से चिंताजनक है।
जबकि उर्दू आठवें शेड्यूल में शामिल है। शेड्यूल आठ में शामिल होने का मतलब ही यही है कि उर्दू भी क्षेत्रीय और मातृभाषा है। इसके अलावा कई राज्यों में उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा का दर्जा भी प्राप्त है। इसलिए उर्दू की स्थिति बहुत मजबूत है। डॉक्टर सैयद अहमद खान ने आगे कहा कि अब उर्दू जानने और बोलने वाले लोग अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए देशभर में उर्दू मीडियम स्कूलों की स्थापना करने का अभियान चलाएं। इससे न केवल रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे बल्कि उर्दू का महत्व भी बढ़ेगा।