“सुकून की तलाश में वापस आया अपने बंजर गांव में” – कोरोना के दौर में किरन जोशी की स्वरचित कविता

सुकून की तलाश में
दर बदर भटक गया मैं
जहाँ था सुकून का मंजर
उसे ही छोड़ आया था मैं
याद आयी हैं मुझे अब
इस त्रासदी में उसकी
मैं आज सब कुछ छोड़ ..
फिर उसी राह में मुड़ गया
वो बंजर गाँव आज
मुझें महत्व अपना बताते है
मैं छोड़ गया था जिसको
अब वही सुकून दिलाते हैं…
मौत का ये खेल तो देखो
सबको सबक सिखाया है
वर्षों से बंद घरों में भी
अब उज्यारा छाया है…।

किरन जोशी