पर्वतीय राज्य मंच द्वारा उत्तराखण्ड राज्य की दोनों भाषाओँ कुमाऊंनी एवं गढ़वाली को सम्मान दिलाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में एक सितम्बर को कुमाऊंनी भाषा दिवस और दो सितम्बर को गढ़वाली भाषा दिवस मनाया जा रहा है।
पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान 1 सितम्बर 1994 को खटीमा गोलीकाण्ड में तथा 2 सितम्बर 1994 को मसूरी गोलीकाण्ड में शहीद हुए लोगों की याद में भाषा दिवस को समर्पित करते हुए पर्वतीय राज्य मंच आगामी एक सितंबर 2018 को देहरादून में कुमाऊंनी भाषा दिवस और दो सितम्बर 2018 को मसूरी में गढ़वाली भाषा दिवस कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है।
पर्वतीय राज्य मंच के संस्थापक और आंचलिक फिल्मकार अनुज जोशी ने बताया कि राज्य की बोली, भाषा और सांस्कृतिक पहचान के लिए जो आंदोलन हुआ था, उसने एक उत्तराखंड का संदेश दिया था। इस दिन और शहीदों को याद करने के लिए मंच की ओर से यह कार्यक्रम एक सितंबर को देहरादून और दो को मसूरी में भाषा दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
सरकार से एक सितम्बर को कुमाऊंनी और दो सितम्बर को गढ़वाली भाषा दिवस घोषित करने की मांग करते हुए कहा की कभी लोक भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम नहीं किया गया। उत्तराखण्ड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां स्कूली पाठ्यक्रम में स्थानीय बोली भाषा शामिल नहीं है। उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा को शामिल करने की मांग की।
1 सितम्बर, 1994 खटीमा गोलीकाण्ड में मारे गए शहीद :-