केंद्र सरकार के एक आदेश ने सभी मंत्रालयों और विभागों में खलबली मचा दी है। मोदी सरकार 2.0 ने अब केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को जबरदस्ती बोझ नहीं बनाना चाहती। यही कारण है कि अब अफसरों की निशानदेही पर इनकी कार्यालयों से हमेशा के लिए छुट्टियां तय होगी।
जिन कर्मचारियों या अधिकारियों का CR खराब है या उनके खिलाफ गंभीर शिकायतें लंबित हैं, ऐसे अफसरों को घर रवानगी के लिए केंद्र सरकार ने अपना खाका तैयार कर लिया है। खास तौर पर आईएएस, आईपीएस और अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को इस दायरे में लाया गया है। यह आदेश केंद्र सरकार के सभी विभागों में लागू होगा।
ऐसा देश के लागू होते ही लगभग 39 लाख सरकारी कर्मचारियों के माथे पर बल पड़ता दिखाई दे रहा है। खासतौर पर ऐसे कर्मचारी और अधिकारी जिन्होंने अपने सेवा के 30 साल पूरे कर लिए हैं या जिनकी आयु 55 वर्ष पूरी हो चुकी है ऐसे कर्मी केंद्र सरकार का आदेश जारी होने के बाद खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
सरकार ने अपनी साफगोई से यह शक्ति से लागू किए जाने की बात कही है। साथ ही कहा कि जनहित में समय पूर्व रिटायरमेंट को कर्मचारी-अधिकारी पेनाल्टी ना समझे।
केंद्र सरकार ने अब मंत्रालयों और विभागों को जो पत्र भेजा है, उसमें विस्तार से समझाया गया है कि जनहित में विभागीय कार्यों को गति देने अर्थव्यवस्था के चलते और प्रशासन में दक्षता लाने के लिए मूल नियम एफआर और सीसीएम पेंशन रूल्स 1972 के समय पूर्व रिटायरमेंट देने का प्रावधान है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया गया है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि समय पूर्व रिटायरमेंट का मतलब जबरन सेवानिवृत्ति नहीं है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के मुताबिक अथॉरिटी को यह अधिकार है कि वह किसी भी सरकारी कर्मचारी को नियम के तहत रिटायर कर सकता है, जो जनहित के लिए आवश्यक हो। इस तरह के मामलों में संबंधित कर्मचारी को 3 माह का अग्रिम वेतन देकर रिटायर कर दिया जाता है। कई मामलों में उन्हें 3 महीने पहले अग्रिम लिखित नोटिस भी देने का नियम है।
केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार हर विभाग के प्रमुख को अब एक रजिस्टर तैयार करना होगा। इसमें उन कर्मचारियों का ब्यौरा रहेगा जो 50 से 55 साल की आयु पार कर चुके हैं। इनकी 30 साल की सेवा भी पूरी होनी चाहिए। ऐसे कर्मियों के कामकाज की समय-समय पर पहले से ही समीक्षा की जाती है। सरकार ने यह विकल्प अपने पास रखा है कि वह जनहित में किसी भी अधिकारी को सेवा में रख सकती है, जिससे उसकी माकुल अथॉरिटी ने समय पूर्व सेवानिवृत्ति पर भेजने का निर्णय की दोबारा समीक्षा करने के लिए कहा हो।
अब केंद्र शासन ने ऐसे मामलों की समीक्षा के लिए एक प्रतिनिधि समिति गठित की है। इसमें उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव लीना नंदन और कैबिनेट सचिव की जेएस आशुतोष जिंदल को सदस्य बनाया गया है। आवधिक समीक्षा का समय जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर और अक्टूबर से दिसंबर तक तय किया गया है।