जैविक विधि से फसलोत्पादन करने के साथ ही जल संरकस्यन भी करें, जानें कैसे करें

इस नई तकनीक में मानव के खाद्य पदार्थ गौद कतीरा का उपयोग खेती में किया गया है। 4/5 किलो ग्राम गौद कतीरा बिजाई के समय जैविक खाद में मिलाकर खेत मे डाला जाता है। जो कि खेत की नमी को बीज के आस पास एकत्रित कर देता है। जिससे कि बीज का जमाव व पोधे की जड़े अच्छी बनती हैं और पोधे की शुष्कता के खिलाफ सहन शक्ति बनाकर सिंचाई की जरूरत को कम करता है। जिससे लगभग आधी सिंचाई व खर्च में खेती की जा सकती है और पैदावार भी पूरी मिलती है। कम सिंचाई की वजह से खरपतवार, बीमारियों व कीटों का प्रकोप भी कम रहता है। इस तकनीक का उपयोग सुदर्शन जोशी द्वारा भी किया गया है। उपरोक्त जानकारी हेतु डॉक्टर वीरेंद्र लाठर साहब व उनके सहयोगियों द्वारा दी गई है जिनका सुदर्शन जोशी ने आभार व्यक्त किया है।
किसान साथियों को जैविक खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारियों की जरूरत हो तो सुदर्शन जोशी से संपर्क कर सकते हैं एवं सुदर्शन जोशी के फेस बुक पेज से भी आप जुड़ सकते हैं। जिससे कि आप लोगों को जैविक कृषि की जानकारियां पहुचती रहें।
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