पहाडों की रानी मसूरी में मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट के कारण 84 परिवारों को प्रशासन द्वारा वहां से हटा दिया गया था। इन बेघरों के लिए पुनर्वास की मांग को लेकर 14 सितंबर से ही शहीद स्मारक पर सांकेतिक धरना प्रदर्शन चल रहा है। कई सामाजिक संगठनों, स्थानीय नेताओं, नागरिकों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने इसमें उनका साथ दिया है। कई बेघरों को पिछले कई दिनों से पार्किंग और हवाघर में रह कर अपना जीवन व्यतीत करने को मजबुर होना पड़ रहा है।
राज्य आंदोलनकारी, पूर्व केबिनेट मंत्री और उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने कहा कि वे शिफनकोट से बेघर किए गए 84 परिवारों के पूर्ण विस्थापन की मांग को लेकर वे मसूरी पहुंचे हैं तथा उन्हें प्रदेश सरकार से कुछ ज्यादा नहीं कहना है, मसूरी में उनकी स्वयं की उपस्थिति ही काफी है। अगर मुख्यमंत्री इस मांग के बावत मसूरी में मेरे आने की बात और मेरी शक्ल जरा सी देख लेगें तो जरूर सोचेगें और शीघ्र हटाए गए निवासियों का बेहतर पुर्नवास करेंगे। दिवाकर भट्ट ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री ने यह काम नहीं किया तो मुझे तो नहीं लगता कि वे कभी दोबारा मुख्यमंत्री तो दूर की बात है विधानसभा का रास्ता भी देखेंगे। पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि आन्दोलन की जरूरत पड़ेगी तो वह आंदोलन भी करेंगे। त्रिवेन्द्र रावत जी हमें ढ़ंग से जानते हैं कि अगर हम एक बार आन्दोलन में कूद पड़े तो आन्दोलन कहां तक पॅहुचेगा पता नहीं? उन्होंने कहा कि 450 करोड़ की रोपवे योजना में अगर उन लोगों को मुआवजा देना पड़े तो 1 प्रतिशत भी खर्च नहीं होगा, मतलब 4 करोड़ रूपया इनके पुर्नवास में खर्च किए जाने चाहिए। प्रत्येक प्रोजेक्ट में ऐसी व्यवस्था होती है और यदि यह कार्य नहीं किया तो जनता का दरबार दूर नहीं, फिर जो पतन उनका यहां होगा उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ वही होंगे। उन्होंने आगे कहा कि सरकार का मसूरी शिफनकोर्ट कांड कोई छोटा काण्ड नहीं, पूरे राज्य के अंदर जाऐगा, हम ले जाएंगे।
इस दिवाकर भट्ट के साथ में शांति प्रशाद भट्ट, सोमेश बुधाकोटी सहित आदि कई यूकेडी नेता मौजूद थे।