ऐ मेरे दोस्तों आज याद आ गए वो पुराने दिन, अहा दिगअ छिला क्या दिन थे वो, वो डानधार में अपना स्कूल, नई-नई क्लास, नया-नया तुम लोगों का साथ।
पूरे क्लास में सिर्फ एक ही लड़की का होना जिससे हम बात तो नहीं करते थे पर मैडम नाम से उसे संबोधन करना, याद है दगड़ियो वो पुरानी बीती हुई बात।
अहा दिगअ छिला क्या दिन थे वो….
वो अंग्रेजी व हिन्दी की क्लास में दोनों शैक्सन का एक साथ बैठना फिर खूब मस्ती कर मासाबों को परेशान करना, वो श्री गिरधर मासाब की कैमेस्ट्री की क्लास में डर कर बैठना उनका नालायको कहना….
अहा दिगअ छिला क्या दिन थे वो….
वो पंद्रह अगस्त में सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभाग लेना…
वो कौल दा के कैंटीन में आलू और टाइगर बिस्किट खाने जाना…
याद है दगड़ियो वो पुरानी बीती हुई बात।
अहा दिगअ छिला क्या दिन थे वो….
वो दिसम्बर से फरवरी के महीनों में ह्यू का गिरना फिर ह्यू की सफेद चादर से स्कूल के मैदान का भरा होना,
छुट्टी में उससे गोले बना कर एक दूसरे को मारते हुए घर को जाना….
याद है दगड़ियो वो पुरानी बीती हुई बात।
अहा दिगअ छिला क्या दिन थे वो….