“हिंदी” – हिंदी भाषा को लेकर ज्योति तिवारी की स्वरचित कविता

गर्व को भी जो गर्वित करती
हिन्द का सम्मान है
वो ओजस्वी स्वर्णिम भाषा
हिंदी, तुझे प्रणाम है।
होता न संभव विचारों को व्यक्त कर पाना
भावनाओं के उदगारों को बाहर ला पाना
सरल कर शव्द मंजरी
तुमने बढ़ाया मान है
हिंदी तुझे प्रणाम है।
अभिव्यक्ति का बनकर सागर
जन जन में करके विचरण
शोभित कर विद्वता को निरंतर
भारत को सिरमौर बनाया है
हिंदी तुझे प्रणाम है।
सौम्य सुखद है आँचल तेरा
मातृ तू मेरी बालक मैं तेरा
बनकर अमृत धार शब्दमय
तुमने कराया दिव्य अमृतपान है
हिंदी तुझे प्रणाम है।।
ज्योति तिवारी