अल्मोड़ा की नीमा भगत बनी दिल्ली भाजपा प्रदेश मंत्री, भांजे दीप उपाध्याय ने कहा पहाड़ की समस्याओं को दिल्ली तक पहुंचने का कार्य करेंगी बुआ

उत्तराखंड के पहाडों से निकलकर कई ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने देश और दुनिया में पहचान बनाई है। फिर चाहे वो फिल्मी दुनिया हो, राजनीति हो, शिक्षा का क्षेत्र हो या खेल का क्षेत्र हर जगह उत्तराखंड और देश का नाम रोशन किया है। राजनीति में भी कई ऐसे लोग रहे हैं जिन्होंने उत्तराखंड का नाम पूरे देश में रोशन किया है। आज हम आपको ऐसी ही एक शक्सियत से मिलने जा रहे हैं जिन्होंने पहाड़ से निकलकर दिल्ली की राजनीति में कई मुकाम हासिल किए है। जी हां साथियों हम बात कर रहे हैं नीमा भगत की जिन्हें भाजपा संगठन में प्रदेश मंत्री की अहम ज़िम्मेदारी मिली है।

अल्मोड़ा से निकलकर नीमा भगत ने दिल्ली की राजनीति जो मुकाम हासिल किया है वह काबिलेतारिफ है। नीमा भगत का जन्म 19 मार्च 1963 में अल्मोड़ा जिले में रानीखेत के सोनी ग्राम में हुआ था। उनकी माता का नाम देवकी उपाध्याय और पिता का नाम माधवानंद उपाध्याय है। उनके पिता स्व माधवानंद उपाध्याय अल्मोड़ा में जिला उद्यान विशेषज्ञ के पद पर रहे और माता देवकी उपाध्याय राज्य आंदोलनकारी रही हैं। नीमा भगत ने GGIC अल्मोड़ा से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है और उसके बाद स्नातक और परास्नातक एसएसजे परिसर अल्मोड़ा से किया है। और इसके अलावा उन्होंने बी.एड. भी किया है। नीमा के 2 बच्चे हैं।
नीमा भगत 2017 में पूर्वी दिल्ली से मेयर भी रही हैं। और उससे पूर्व वह 2 बार पार्षद का चुनाव भी जीत चुकी हैं। वह सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। और इससे पूर्व भी वह भाजपा में कई अहम ज़िम्मेदारयों का निर्वहन कर चुकी हैं। और अब भाजपा ने एक बार फिर उन पर विश्वास जता कर उन्हें प्रदेश मंत्री की अहम ज़िम्मेदारी दी है।

परिवार के साथ नीमा भगत

पहाड़ एक्सप्रेस से हुई वार्ता में नीमा भगत के भाई क्षेम चंद्र उपाध्याय ने कहा कि छोटी बहन की इस कामयाबी से वह बहुत प्रसन्न हैं और वह भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे। उन्होंने आगे कहा कि नीमा की माता और उनकी चाची देवकी देवी राज्य आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता रही हैं उन्हीं को देख नीमा की रुचि भी सामाजिक कार्यों में रही और वह भी उन्हीं के जैसे सभी की मदद करने वाली है। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि एक बार राज्य आंदोलन के दौरान अल्मोड़ा में हुई रैली के दौरान नीमा की माता जी का चश्मा टूट गया था जिसे फिर बाद में उस समय के डीएम ने फिर से नया चश्मा बना कर दिया था। और बताया की एसएसजे परिसर अल्मोड़ा की प्रो. विजया ढोंढियाल भी उस वक़्त चाची के साथ राज्य आंदोलन में रही थी। उन्होंने अपनी बहन नीमा को याद करते हुए कहा कि उसे पहाड़ी खाना बहुत पसंद है। भट्ट की चुड़कानी, पालक का कापा, भट के डुबके, पालक और लाई कि सब्जी नीमा को बहुत पसंद है। इसके अलावा जब भी वह आती है तो पहाड़ी पीसे हुए नमक के साथ पहाड़ी ककड़ी भी उसे काफी पसंद है। हर वर्ष नीमा अपने गांव आती जरूर है इस साल कोरोना के वजह से आना नहीं हो पाया लेकिन जब कल फोन पर नीमा से बात हुई तो उसने कहा कि वह जल्दी ही गांव आएगी इष्ट देव का आशीर्वाद लेने और अपना पसंदीदा भाभी के हाथों का बना पहाड़ी खाना खाएगी।

आगे पहाड़ एक्सप्रेस से बात करते हुए नीमा भगत के भांजे दीप उपाध्याय ने कहा कि बुआ को भाजपा संगठन में अहम ज़िम्मेदारी मिलने पर पूरे गांव और क्षेत्र में खुशी का माहौल है। उन्होंने कहा कि बुआ पहाड़ की आवाज को और पहाड़ की समस्याओं को दिल्ली तक उठाने का कार्य करेंगी क्युकी उन्होंने पहाड़ की समस्याओं को बहुत करीब से देखा है और दादी राज्य आंदोलनकारी रही हैं तो उनके साथ रहते हुए वह पहाड़ की परेशानियां और समस्याओं से भली भांति अवगत है वह पहाड़ की समस्याओं को बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष जरूर उठाएंगी। और उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आज उत्तराखंड बनने के 20 वर्षों बाद भी उत्तराखंड के हाल बेहाल हैं और यह राज्य आंदोलनकारियों का उत्तराखंड नहीं बन पाया है, इस बात की पीढ़ा हर एक उत्तराखंडी को आज भी कचोट रही है। राज्य का युवा बेरोजगार से और पलायन करने को मजबुर है। इसलिए वह चाहते हैं कि बुआ वापस अपने राज्य अपने घर गांव में आए और जो सपना हमारे पूर्वजों ने हमारी दादी ने और उनके जैसे अनेक आंदोलनकारियों ने देखा उसे पूर्ण करने को बुआ का यहां आना बहुत जरूरी है क्युकी वह पहाड़ की समस्याओं से अवगत है और उन्होंने राज्य आंदोलन को और उनके सपनों को दादी के साथ में काफी करीब से देखा है। निश्चित तौर पर उत्तराखंड आकर उन्हें भाजपा के लिए और उत्तराखंड प्रदेश और पहाड़ के लिए अहम जिम्मेदारियां उठा कर राज्य आंदोलनकारियों के सपने को पूर्ण करने में अपना योगदान देना चाहिए और उत्तराखंड को एक नई दिशा बुआ के नेतृत्व में जरूर मिलेगी यह हमें पूर्ण उम्मीद है।