“इंसानियत” – विक्की आर्या “लवतनु” की स्वरचित कविता

इंसानियत

बहुत हुआ तमाशा
तेरे ही बनाये हुए लोगो का…
बहुत हुआ तमाशा
तेरे ही बनाये हुये लोगो का…
मैं तो यूही बदनाम हूँ
अपने ही बनाये लोगो का
मैं तो यूही बदनाम हूँ
अपने ही बनाये लोगो का
मैं तो बात कुछ यूही
करता रहा अपनो के
महफील में
वो तो कुछ तमाशा
करते रहे अपने ही बनाये लोगो का
वो तो कुछ तमाशा
करते रहे अपने ही बनाये लोगो का

*कवि *लवतनु*