खेल नीति के ड्राफ्ट में राज्य में खेलों का आधारभूत मजबूत करने की बात कही गई है। कहा गया है कि, प्रदेश में दोनों मंडलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बनेंगे। वहीं राज्य खेल ग्रिड के रूप में स्थापित करने ग्राम पंचायत, हर क्षेत्र पंचायत, नगर क्षेत्र, स्कूल और महाविद्यालय में खेल मैदान बनाए जाएंगे।
कहा गया है कि, ग्राम पंचायत में 1, क्षेत्र पंचायत में 2, नगर पंचायत में कम से कम 5 खेलों के मैदान बनाए जाएंगे। साथ ही बहुउद्देश्यीय हॉल तैयार किया जाएगा।
ओलंपिक, एशियन खेल, कॉमनवेल्थ गेम्स में खेले जाने वाले सभी खेल या भारतीय ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त खेल।
गैर कोर खेल: भारत सरकार के खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त खेल (भारतीय ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त को छोड़कर) अन्य शामिल हैं।
परंपरागत खेल: ग्र्रामीण क्षेत्रों में खेले जाने वाले परंपरागत खेल। इसके तहत बच्चों को बचपन से उनकी योग्यता के अनुसार खेलों का चयन करने के लिए प्रतिभा श्रृंखला विकास कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसमें खेल के साथ योग भी शामिल किया गया है।
प्रथम प्राथमिकता एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, रोइंग, कयाकिंग एवं कैनोइंग, जूडो, ताइक्वांडो, शूटिंग, फुटबाल, कराटे।
द्वितीय प्राथमिकता या मध्यम श्रेणी खेल-वॉलीबाल, हैंडबाल, टेबल टेनिस, भारोत्तोलन, कबड्डी, बास्केटबाल, हॉकी, कुश्ती, तीरंदाजी, तलवारबाजी।
तृतीय श्रेणी खेल-दोनों श्रेणियों में शामिल नहीं किए गए और जिन खेलों में उत्तराखंड के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहद कम है।
परंपरागत खेल- ग्रामीण क्षेत्रों में खेले जाने वाले परंपरागत खेल।