रिपोर्ट – आरती बिष्ट
अगले एक वर्ष में 20-25 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन देने के लिए भारत को 50,000 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। यह रकम इस अनुमान पर आधारित है कि देश में वैक्सीन की एक डोज की कीमत करीब 500 रुपए होगी। दवा कंपनियां अमरीका और अन्य विकसित देशों में कोरोना की दवा काफी महंगे दामों पर बेचेंगी।
भारत को कम से कम 40-50 करोड़ डोज की जरूरत होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.), गेट्स फाऊंडेशन समर्थित ग्लोबल वैक्सीन अलायंस और भारतीय दवा निर्माता कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति के लिए भारत को आश्वस्त किया है।
कोरोना वैक्सीन की खरीद और वितरण के लिए भारत को 80,000 करोड़ रुपयों की जरूरत पड़ेगी। भारत में 25 करोड़ लोगों में कोरोना के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली पैदा करने के लिए वैक्सीन की 50 करोड़ डोज आवश्यक होंगी। सरकार बहुत हद तक एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटैक-आई.सी.एम.आर. द्वारा निर्मित की जा रही दवा पर निर्भर है जिसके दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।
हालांकि अमरीका, ब्रिटेन, यूरोप तथा अन्य देशों की तरह भारत सरकार द्वारा दवा निर्माता कंपनियों को अग्रिम भुगतान करना बाकी है। डा. वी.के. पॉल के नेतृत्व वाली प्रधानमंत्री की टास्क फोर्स कोरोना दवा पर रिसर्च कर रही फार्मा कंपनियों और वैक्सीन निर्माताओं के साथ नियमित संपर्क में है। भारत ग्लोबल वैक्सीन हब है जिसकी क्षमता प्रति वर्ष 2 बिलियन डोज के निर्माण की है। सरकार द्वारा फंड और अन्य सुविधाएं दिए जाने से ये भारतीय कंपनियां अपना उत्पादन और तेज कर सकती हैं।