विगत 7 महीनों से वैश्विक महामारी कोविड-19 से पूरा विश्व जूझ रहा है। आर्थिक तंगी की मार लगभग सभी क्षेत्रों में रही है परन्तु धीरे धीरे सभी चीजें अपनी मूल भूत स्थिति में पहुंचने लग रही हैं। ऐसे में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर रहे हैं, जिन्हें नजरअंदाज न कर इसका भी सुव्यवस्थित समाधान निकाला जाना चाहिए।
स्कूल, कॉलेज को लेकर सरकार का निर्णय 15 अक्टूबर से शुरू करने का है, या फिर चाहे तो सरकार परिस्थितियां पूरी तरह सही हो जाने पर विचार करे। लेकिन इसी बीच शिक्षण संस्थानों (कोचिंग सेंटर) के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए और शिक्षण संस्थानों को covid-19 नियमों के पालन के साथ पूरी तरह से खोले जाने की अनुमती देनी चाहिए।
हम जिस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, उसी के एक पहलू के रूप में उभरा शिक्षण संस्थान जो कि अपने माध्यम से कई विद्यार्थियो के भविष्य को बेहतर और सफल बनाने में अहम भूमिका अदा करता है और साथ ही कई बेरोजगार शिक्षित युवाओं को रोजगार भी मुहैया कराता है, को शुरू करने की पूरी अनुमती देनी चाहिए।
गौरतलब है कि कोई भी छोटा मोटा शिक्षण संस्थान किसी निजी व्यक्ति का ही होता है और इस महामारी के समय में जहां अन्य सारे काम शुरू हो गए हैं, शिक्षण संस्थान चलाने वाले के आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है। जिस वजह से वो अपना घर का खर्च और संस्थान का किराया नहीं चुका पा रहा है। संस्थान का किराया उन पर कर्ज़ के रूप में चढ़ चुका है। जिससे उन पर कर्ज का बहुत बड़ा भार आ गया है। कई कोचिंग संचालक मानसिक तनाव की स्थिति से भी जूझ रहे है और इसी वजह से कई जगह से कोचिंग संस्थान के संचालकों या अध्यापकों की आत्महत्या जैसी ख़बरें भी आईं हैं।
सरकार को निश्चित रूप से कोचिंग संस्थान को शुरू करवना चाहिए। जिस तरह अन्य सभी सेक्टर में सामाजिक दूरी और मास्क, सेनिटाइजर को अनिवार्य किया गया है, उसी तरह कोचिंग संस्थानों में भी इस बात की प्राथमिकता के साथ क्लासेज चलाई जाए। जिससे विद्यार्थी एक सुरक्षित माहौल में खुद की पड़ाई अच्छे से कर सके और खुद को राष्ट्र निर्माण में एक नई पीढ़ी के रूप में काबिल बन सके। शिक्षा मूलभूत आवश्यकता है, इसलिए कोचिंग सेंटरों को जरूर शुरू किया जाना चाहिए।