उत्तराखंड अपडेट- उत्तराखंड के 6500 किसान शहद उत्पादन से जुड़ेंगे, मौनपालन से संबंधित सामग्री मुहैया कराएगी सरकार

रिपोर्ट – आरती बिष्ट

उत्तराखंड में शहद उत्पादन की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए सरकार अब इसके लिए सक्रियता से जुट गई है। तय किया गया है कि सभी जिलों में एक-एक न्याय पंचायत में 500-500 किसानों को मौनपालन से संबंधित सामग्री मुहैया कराई जाएगी। इस पहल से जहां किसानों को शहद की बिक्री से अतिरिक्त आय होगी, वहीं फसलों की पैदावार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार ने प्रदेश में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने का निश्चय किया है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने इसका खाका तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे और यह करीब- करीब तैयार कर लिया गया है।

प्रत्येक जिले में मौनपालन को क्लस्टर आधार पर बढ़ावा देते हुए मधु न्याय पंचायत के रूप में विकसित करने की तैयारी है।असल में, राज्य के सभी जिलों, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में घरों में मौनपालन होता है, मगर व्यावसायिक दृष्टिकोण से यह आकार नहीं ले पाया है। पहाड़ में उत्पादित होने वाले शहद की मांग ज्यादा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्तमान में प्रदेश में सिर्फ 1600 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है। इसमें करीब 300 मीट्रिक टन देशी और शेष यूरोपियन मधुमक्खियों से मिलता है।सचिव कृषि हरबंस सिंह चुघ के अनुसार शहद उत्पादन किसानों की आय का बड़ा जरिया बन सकता है। इसे कृषि कार्यों के साथ आसानी से किया जा सकता है।
सभी 13 जिलों में एक-एक न्याय पंचायत का चयन कर वहां पांच-पांच सौ किसानों को मौनपालन पेटियां, मौन कॉलोनी और मौनवंश उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे राज्यभर में 13 न्याय पंचायतें मधु न्याय पंचायत के रूप में विकसित होंगी। इसमें उन न्याय पंचायतों को प्राथमिकता दी जा रही, जिनके गांव आइएमए विलेज योजना में आच्छादित गांव होंगे।