“संघर्ष” – कवियित्री चन्द्रा उप्रेती जोशी की स्वरचित कविता

संघर्ष

हाँ थोड़ा टूट सा गया हूं,पर मै अभी हारा नही
मेहनत रंग लाएगी एक दिन,मात्र असफल ही तो हुआ हूं
पर मै कोई किस्मत का मारा नही।

शाखें यूँ तो टूटती रहती हैं पेड़ों से हमेशा
मेरा भी एक सपना टूटा
पर यदि शाख टूटने से पेड़ ही सूख जाए
ये मुझे गवांरा नही।

नई शाखाएं भी आएंगी,हिम्मत है गिर के उठने की
सक्षम हूं दोबारा प्रयत्न करूँगा,हर दर्द सहूंगा,मै कोई बेसहारा नही।

यकीनन पीछे खींच रही है जिन्दगी मुझे
एक ऊँची लम्बी छलांग के लिए
वादा है मेरा जितना पीछे जाउंगा
उतना ही आगे आउंगा
कही जीत न लूं आसमान सारा कहीं
बस थोड़ा टूटा ही हूं पर मै अभी हारा नही।

चन्द्रा उप्रेती जोशी