“खामोशी” – मीनाक्षी भट्ट की स्वरचित कविता

खामोशी

उसकी गुमशुदगी की कोई तलाश भी नहीं है,
उसकी चुप्पी का कोई राज नहीं है,
ना जाने क्यों चुप -चुप सा रहता है वो शक्स उसकी चुप रहने का कोई जवाब भी नहीं है।
कभी उसकी खामोशी बहुत कुछ कह जाती हैं,
कभी उसकी खामोशी हैरान भी कर जाती है,
वो अपने दर्द जताना तो चाहता है
लेकिन उसकी खामोशियां उसे जताने नहीं देती,
कभी कभी उसकी खामोशियों को समझना मुश्किल सा होता है
और गुस्सा फूटकर बाहर भी आ जाता है।
उसकी खामोशियों को शायद ही कोई समझ पाए,
उसकी खामोशियों से शायद ही कोई मिल पाए ।
उसे समझना तो होगा खामोशीयो से दोस्ती करने वाले लोग अक्सर अकेले रह जाते हैं।
अपनी खामोशियों को बाहर लाकर कुछ बाते दर्द ए एहसाह हमको भी दे जाए।।

मीनाक्षी भट्ट