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चैत्र मास नवरात्रि में , कर ले मन उपवास !
आदिशक्ति अवलंब ले , कर ले आत्म विकास !!
मन बुद्धिहिं का वास हो , जगदम्बा के पास !
संयम नियम सुबंध हो , सफल जान उपवास !!|
वासंती अरु शारदीय , महिमा है उपवास !
ग्रीष्म शीत रक्षण लिए , कारण स्वास्थ्य प्रयास !!
आदिशक्ति जगदम्बिका , महाशक्ति गुण खान !
तन मन बुद्धि प्रबल कर , करें आत्म उत्थान !!
नर तनु के नव दुर्ग को , नौ दिन करू बलवान !
भाव यही नवरात्रि का , सफल तबहिं मनु जान !!
मन हेतुहिं उपवास है , मन हेतुहिं सब ग्रन्थ !
मन हेतुहिं सृष्टि सकल , मन हेतुहिं सब पंथ !!
शक्ति प्राप्ति का मूल है , शक्ति मास नवरात्रि !
तन मन शक्तिहिं युक्त हों , पाय शक्ति माँ दात्रि !!
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– श्वेताभ पाठक