“मुझे मत मारो मेरे भी कुछ सपने हैं” – कुमार हैरिस की स्वरचित कविता

मुझे मत मारो मेरे भी कुछ सपने हैं

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मै एक नन्ही सी हूँ कलि
जो कोख मे माँ के पल रही हूँ
बेटी हूँ पर इस दुनिया मे
आने को मैं भी मचल रही हूँ

कोई मजबूरी कहके मुझको
कोई समझकर बोझ मुझे
कोई बाहर तो कोई कोख मे
मार देते है रोज मुझे

मै भी खुशियां दूँगी सबको, जैसे बेटे देते हैं
सारी जिम्मेदारी लूंगी, जैसे बेटे लेते हैं
अपने घर और हर रिस्ते की, मै हीतेशी बन जाऊंगी
मै सिर्फ खुशियां ही बांटूगी, जब दुनिया मे आऊंगी

आजमाके देख लो मुझको
अगर तुमको कोई शक है
मुझको को भी कर दो पैदा
मुझको भी जीने का हक है…
……………. (हैरी)