कुमाऊं यूनिवर्सिटी में छात्रा उपाध्यक्षा रह चुकी डबल एमए पास हंसी हरिद्वार में भीख मांगकर कर रही हैं जीवन यापन , खबर वायरल होने के बाद कई लोग आ रहे हैं मदद को आगे

कुमाऊं यूनिवर्सिटी का एसएसजे कैंपस में कभी हंसी प्रहरी छात्र छात्राओं के दिलों में राज करती थी और इसी के चलते वह इस परिसर से छात्रा उपाध्यक्ष का चुनाव भी जीती थी। बताया जाता है कि उनकी प्रतिभा और वाकपटुता का हर कोई कायल था। हंसी प्रेहरी ने राजनैतिक शास्त्र और इंग्लिश जैसे विषयों में डबल एमए किया। बताया जाता है कि तब कैंपस में हर गोष्टी, सम्मेलन और भाषण प्रतियोगिता में हंसी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थी और हमेशा अग्रणी रहेगी थी। हर किसी को इस बात का यकीन था कि हंसी जीवन में कुछ बड़ा करेगी।

परन्तु समय का पहिया किस प्रकार घूमता है ये किसे पता? जोे लड़की कभी विवि की पहचान हुआ करती थी, छात्र छात्राओं की आवाज हर मंच से उठने का माद्दा रखती थी, वह आज भीख मांगने के लिए मजबूर है। हरिद्वार की सड़कों, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और गंगा के घाटों पर उसे भीख मांगते हुए देखने पर शायद ही कोई यकीन करे कि उसका अतीत कितना सुनहरा रहा होगा।

हंसी का गावं उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा के हवालबाग ब्लॉक के अंदर गोविंन्दपुर के पास रणखिला है। इसी गांव में पली-बढ़ीं हंसी पांच भाई-बहनों में से सबसे बड़ी बेटी है। बताया जाता है कि वह पूरे गांव में अपनी पढ़ाई को लेकर चर्चा में रहती थी। पिता छोटा-मोटा रोजगार करते थे। उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन रात एक कर दिया था। गांव से छोटे से स्कूल से पास होकर हंसी कुमाऊं विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने पहुंची तो परिजनों की उम्मीदें बढ़ गईं। हंसी पढ़ाई लिखाई के साथ ही दूसरे क्रियाकलापों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया करती थी।

साल 1999-2000 में वह तब चर्चा में आई जब कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनी। इसके बाद उन्होंने 2002 में सोमेश्वर विधानसभा से विधायक का चुनाव वर्तमान राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा और लोकसभा सांसद अजय टम्टा के खिलाफ मजबूती से लदा और 2600 से अधिक मत हासिल किए थे। इस चुनाव में काग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप टम्टा 9000 से अधिक मत प्राप्त कर विजेता रहे थे।

 

एसएसजे परिसर के अध्यापक बताते हैं कि हंसी पढ़ाई में और सभी चीजों में काफी अच्छी और सक्रिय लड़की थी, उन्होंने करीब चार साल विश्वविद्यालय में नौकरी भी की। उन्हें नौकरी इसलिए मिली क्योंकि वह विश्वविद्यालय में होने वाली तमाम एजुकेशन से संबंधित प्रतियोगिताओं में भाग लिया करती थी। चाहे वह डिबेट हो या कल्चर प्रोग्राम या दूसरे अन्य कार्यक्रम, वह सभी में प्रथम आया करती थी। E-tv भारत से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी की। 2011 के बाद हंसी की जिंदगी अचानक से बदल गई। उन्होंने साफ-साफ कुछ भी बताने से तो इन्कार कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहती कि उनकी वजह से दो भाई और बाकी परिवार के सदस्यों पर किसी तरह का भी फर्क पड़े। हंसी ने बताया कि वह इस वक्त जिस तरह की जिंदगी जी रही हैं, वह शादी के बाद हुई आपसी विवाद का नतीजा है।

हंसी की अब दोबारा से जिंदगी की शुरुआत करने की हसरत है। शादीशुदा जिंदगी में हुई उथल-पुथल के बाद हंसी कुछ समय तक अवसाद में रहीं और इसी बीच उनका धर्म की ओर झुकाव भी हो गया। परिवार से अलग होकर धर्मनगरी में बसने की सोची और हरिद्वार पहुंच गईं तब से ही वो अपने परिवार से अलग हैं। वो बताती हैं कि इस दौरान उनकी शारीरिक स्थिति भी गड़बड़ रहने लगी और वह सक्षम नहीं रहीं कि कहीं नौकरी कर सकें। हालांकि अब उन्हें लगता है कि यदि उनका इलाज हो तो उनकी जिंदगी पटरी पर आ सकती है। वह दोबार से अपनी जिंदगी की शुरुआत कर सकती हैं।

हंसी ने यह भी बताया कि वह 2012 के बाद से ही हरिद्वार में भिक्षा मांग कर अपना और अपने छह साल के बच्चे का पालन-पोषण कर रही हैं। बेटी नानी के साथ रहती है और बेटा उनके साथ ही फुटपाथ पर जीवन बिता रहा है। हर विषय में गहरी समझ रखने वाली और फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाली हंसी जब भी समय होता है तो अपने बेटे को फुटपाथ पर ही बैठकर अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत और तमाम भाषाएं सिखाती हैं। उनका बेटा शिशु मंदिर में पड़ता है। उनकी इच्छा यह है कि उनके बच्चे अब आगे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर बेहतर जीवन जीएं। इतना ही नहीं, वह खुद कई बार मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुकी हैं कि उनकी सहायता की जाए। कई बार सचिवालय विधानसभा में भी चक्कर काट चुकी हैं और इस बात के दस्तावेज भी हंसी के पास मौजूद हैं। वह कहती हैं कि अगर सरकार उनकी सहायता करती है तो आज भी वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकती हैं।

अब यह खबर वायरल होने के बाद प्रशसन, कई नेता, समाजिक संगठन और पूर्व में हंसी के सहपाठी, जूनियर, सीनियर और अध्यापक अब उसकी मदद को आगे आ रहे हैं।