क्या है BEC एग्रीमेंट जिस पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं भारत- अमेरिका, जाने पूरी खबर

रिपोर्ट – आरती बिष्ट

चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत-अमेरिकी की दोस्ती में लगातार घनिष्ठता देखने को मिल रही है। दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच टू प्लस टू वार्ता के दौरान भू-स्थानिक सहयोग के लिए बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता यानी बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर हस्ताक्षर की उम्मीद है। यह वार्ता 26-27 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित होगी।

लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट और कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट के बाद क्रमशः 2016 और 2018 में भारत और अमेरिका के बीच होने वाला यह तीसरा मूलभूत समझौता है।

न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि “विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित उनके भारतीय समकक्षों के साथ 26-27 अक्टूबर को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा सचिव मार्क ओशो के बीच बैठक के दौरान BECA पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
समझौता यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देशों के सशस्त्र बल भू-स्थानिक सहयोग बढ़ाने पर एक दूसरे से बात करना शुरू करें।”

सूत्रों ने कहा कि इस समझौते पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत कुछ समय पहले पूरी हो गई थी और सरकार द्वारा मंजूरी के बाद, अब यह हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है।

क्या है BEC एग्रीमेंट-

1. Basic Exchange and Cooperation Agreement (BECA) के तहत भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका के भू-स्थानिक मैप का उपयोग करने की अनुमति मिलेगी ताकि ऑटोमैटिक हार्डवेयर प्रणालियों और क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन जैसे हथियारों से सटीक निशाना लगाया जा सके।
2. BECA के तहत भारत को अमेरिका से सशस्त्र मानवरहित ड्रोन मिलेंगे, जैसे प्रिडेटर-बी. प्रीडेटर-बी दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले के लिए स्थानिक डेटा का उपयोग करता है।
3। BECA दोनों देशों के बीच चार संस्थापक सैन्य संचार समझौतों में से एक है। अन्य तीन GSOMIA, LEMOA, CISMOA हैं। इन समझौतों के तहत कई तरह के रक्षा सूचनाएं आपस में साझा की जाती हैं।
4. शुरू में, भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर भू-स्थानिक मानचित्रण का इस्तेमाल नहीं किया गया। लेकिन बाद में दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत और चर्चा द्वारा उन्हें संबोधित किया गया था।

भारत और अमेरिका रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत करीब से काम कर रहे हैं, क्योंकि भारत ने पिछले 15 वर्षों में सी-17 ग्लोबमास्टर्स और सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस विशेष ट्रांसपोर्ट विमान सहित लगभग 20 बिलियन अमरीकी डालर के उपकरण खरीदे हैं, जो भारतीय वायु सेना के भारी-भरकम बेड़े का मुख्य आधार बन गए हैं।

हेलिकॉप्टरों के क्षेत्र में भी अमेरिकी चिनूक और हमले के लिए अपाचे हेलीकॉप्टर सशस्त्र बलों के लिए आए हैं। सेना अमेरिकी अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर का उपयोग भी कर रही है जबकि नौसेना ने हाल ही में अमेरिकी एमएच-60 रोमियो एंटी-सबमरीन युद्धक बहुराष्ट्रीय हेलिकॉप्टरों को अपनी आवश्यकताओं के लिए चुना है।