ढूंढता हूँ हवाओं में खुशबू तेरी,
अक्स तेरा कहीं भी न आये नजर,
यूँ तो जिंदा हूँ तुझसे बिछड़कर सनम,
धड़कनें रुक गयी हैं तुम्हें क्या खबर।
मेरी आगोश में तेरा साया रहा,
तेरा हो ना सका पर तेरा ही रहा,
एकतरफा कहा इश्क को जब मेरे,
मेरा साया भी तब से मेरा ना रहा।
बारिशों की ये बूंदें लगे मखमली,
वार करती है जब भी पवन ये चली,
सारे हथियार खुद में लपेटे हुए,
तेरी यादें भी मुझसे झगड़ने चली।
प्यास होंठों की होंठों में रह जाती है,
सांस आती है पर रुह थम जाती है,
चाहा बहलाना दिल को जब भी कभी,
धड़कनें मेरी उस वक़्त जम जाती हैं।
कोई हमसे भी ऐसी मोहब्बत करे,
साथ हो ना मगर याद में ही रहे,
दिल के सागर में हलचल मचाये मगर,
मेरी कश्ती का वो ही किनारा रहे।
– श्याम भट्ट