“ज़िन्दगी” – युवा कवियत्री मानसी जोशी की स्वरचित कविता

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी की राह में चलते चलते,
मैने ज़िन्दगी को जीना देखा,
आर्थिक तंगी में भी लोगो को मुस्कुराते देखा,
वरना हसना तो शायद ज़िन्दगी में भूल गए थे वो,
ज़िन्दगी की राह में चलते चलते,
मैने ज़िन्दगी को जीना देखा।।

गुम सी हो गई थी इनकी ज़िन्दगी,
उस बेरंग ज़िन्दगी को फिर रंग में घुलते देखा,
सुकून सा मिला इस दिल को,
जब उस औरत को मैने मुस्कुराते देखा,
ज़िन्दगी की राह में चलते चलते,
मैने ज़िन्दगी को जीना देखा।।

एकांत में बैठकर एकटक उनको देखती रही,
उनकी हसी की किलकारी ने, मुझे जीना सिखा दिया,
आर्थिक तंगी में भी खुलकर मुस्कुराना ,उन्होंने सिखा दिया,
ज़िन्दगी की राह में चलते चलते,
मैने ज़िन्दगी को जीना देखा।।

किसने कहा था गरीबी मुस्कुराना भुला देती है,
अरे…….
उन स्त्रियों के पास जाकर देखो,
मुस्कुराने की कीमत जाकर उनसे पूछो,
जो हसकर अपने सारे गम भुला देती है,
ज़िन्दगी की राह में चलते चलते,
मैने ज़िन्दगी को जीना देखा।।

मानसी जोशी