वो मेरा पुराना पहाड़ वो उसकी चुलबुली यादें।
अब बस रुलाती हैं मुझे वो पुरानी बातें।।
वो रिस्ते नाते वो पहाड़ी बोली की मीठी बातें।
सब कुछ टूट गया अब बस रह गयी फ़रियादें।।
कहते वो थे कि हम इसकी तस्वीर बदल देंगे।
उत्तराखंड बन जाने दो तक़दीर भी बदल देंगे।।
पर क्या मिला जो थी ख़ुशियाँ पल में बिखर गयी।
सपनो की पहाड़ी दुनिया आंसुओं में बदल गयी।।
जो खेत बड़ी शान से हरयाली के साथ लहराते थे ।
वो आज सुख कर बंजर ओर बेजान बन गए।।
सपने देखे थे जिन पत्थरों के घरों में बुजुर्गों ने।
वो आज टूटकर खंडहर बेजान बेकार हो गए।।
कैसी बेबसी है कि हम चाहकर भी कुछ नहीं कर रहे।
जो कुछ बचा था हाथों में वो धीरे धीरे बेच रहे।।
हम सरकारों को कोसते रह गए वो हमें बेचते रहे।
जगा लो ईमान अपना क्यों अस्तित्व अपना डूबा रहे।।
धीरे धीरे मिट रही हमारी संस्कृति हमारी बोलियाँ।
क्या दिखाओगे भावी पिड़ी को ख़ाली हथेलियाँ।।
आओ १uk के साथ कदम से कदम मिलाते चलो।
उत्तराखंड के सुनहरे भविष्य के फ़ुल बिछाते चलो।।
जय हिंद जय उत्तराखंड
1UK Team
नवीन चन्द्र तिवारी