——- तड़प ———
किसी ने दुख देखा है, तड़प देखी है
सब अपनी जिंदगी से परेशान है
अपना दुख सबसे ऊपर समझते है
पर मैंने सबसे बड़ा दुख देखा है
हां मैंने उन बच्चो को
उनकी मा से बिछड़ते हुए देखा है।
जिसके हाथ से हमेशा
वो खाना खाया करते थे
आज उन्हीं हाथो को मैंने निर्जीव पड़े देखा है
उनकी छोटी सी चोट में भी
वो सेहेम जाती थी
आज वो बेतहाशा रो रहे है
पर वो मौन पड़ी है।
जो हस रही थी उनके साथ कुछ क्षड पहले तक
अब वो आंखे भी नहीं खोल रही है
वो बच्चे तड़प रहे है , मां मजाक मत करो !
एक बार तो बोलो!
पर वो मौन पड़ी है
अब कैसे यकीन दिलाए ये दुनिया की उनकी मा अब नहीं रही है।
वो बच्चे रोते है कि हमने सुना था , मरते समय सब कुछ कहकर जाते है
पर हमारी मा ने तो कुछ कहा ही नहीं
हमे बेबस कर के चली गई
कोई पूछे कि दर्द क्या है
जिनकी मा उनके अब साथ नहीं!
उनके लिए मर्ज क्या है?
दिव्या जोशी