“I Lost Everything But Still Conquered Death” – पूर्व छात्रसंघ महासचिव आशीष पन्त द्वारा लिखी एक भावुक कहानी

मेरी राशन की एक दुकान थी जहाँ दिन भर में अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी, मेरे घर में मेरा एक बेटा और बहू थे। और फिर कुछ साल पहले मुझे टीबी हो गया तो मेरे घर वाले मुझसे दूर भागने लगे, मैं अक्सर बीमार रहता था और कभी कभी उल्टियां भी कर देता। मैं ये सब नहीं करना चाहता था पर ये मेरी मजबूरी थी, क्योंकि मैं इस खतरनाक बीमारी से ग्रसित था। एक दिन मेरे बच्चों ने मेरी इस बीमारी को देख मुझे घर से निकालने का फैसला किया और योजनाबद्ध तरीक़े से मुझे घर से निकाल दिया।

मैं बीमार था तो कहाँ जा सकता था, इसलिए कभी किसी चौक के किनारे तो कभी किसी सड़क के किनारे पड़ा रहता था। अब उचित रखरखाव की कमी से मेरी बीमारी भी बढ़ते जा रही थी और मुझे विश्वास होने लगा था कि मैं कुछ दिनों में मर जाऊँगा। पर एक दिन एक फाउंडेशन से जुड़े कुछ लोगों को न जाने मेरे बारे में किसने बताया और वो मेरे पास पहुंचे। मैं कुछ बोलने की हिम्मत में नहीं था, और मेरी बीमारी के अलावा उसका एक कारण और था कि 2 दिन से कुछ खाने को नहीं मिला था और अब लग रहा था जैसे मेरे निर्बल पड़ चुके शरीर को अब बस मेरी मौत का इंतज़ार हो। और ऐसी मनोदशा में कुछ क़दमों का मुझ तक आना कुछ वैसा ही था मानो उम्मीद ख़ुद मुझ तक आ गयी हो, उन्होंने सबसे पहले मुझे कुछ खाने को दिया और फिर मेरे बारे में जानने की कोशिश की।

पूछने पर मैंने उन्हें अपने बारे में बताना चाहा, पर मैं न जाने कबसे नहीं नहाया था तो मुझसे बहुत बदबू आ रही थी कपड़े भी फटे और गंदे थे। जिस कारण उन्होंने मुझे स्नानाग्रह में ले जाकर स्नान कराया और फिर कपड़े लाकर दिए पर मेरी बीमारी मेरा ज्यादा साथ नहीं देने वाली थी ये मैं जानता था। पर उन्होंने मुझसे कहा कि आपको कुछ नहीं होगा और ये वही शब्द थे जो एक दुखी और निराश मन के लिए दुनिया की सभी दवाओं से बढ़कर होते हैं। उन्होंने मुझे अस्पताल में भर्ती करवाया। अब कुछ दिन हुए तो मैं थोड़ा ठीक होने लगा, ऐसा लग रहा था मानो अब मैं थोड़ा और जी सकता हूँ, लगातार 6 महीनों तक मेरा इलाज़ चला और मैं ठीक हो गया था। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कोई व्यक्ति इतनी बीमारी के बाद भी कैसे जीवित रह सकता था। पर ये शायद उस भगवान की जीत थी जो उस व्यक्ति रूप में मेरे पास आये थे। भगवान को आप कितना बुलाओ शायद ही वो आपके सामने प्रकट होकर आपकी समस्या का समाधान करें पर वो किसी न किसी रूप में हमारे साथ रहते हैं आज मुझे इस बात का विश्वास हो चुका था।

Socialvoice “आशीष पन्त”

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