कुली बेगार आंदोलन, उत्तराखंड का महत्वपूर्ण आंदोलन रहा है। कुमाऊं क्षेत्र से उठा यह आंदोलन आज भी कुली बेगार की कुप्रथा का स्मरण कराता है। ऐसी सामाजिक कुप्रथा से जुड़ा कुली बेगार प्रथा का शताब्दी वर्ष है। एस एस जे परिसर के इतिहास,संस्कृति और पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विद्याधर सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि 14 जनवरी,1921 को बागेश्वर में सरयू गोमती के संगम पर इस कुप्रथा का अंत हुआ। इस कुप्रथा के अंत के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। जिसको लेकर सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा द्वारा दिनांक 11 जनवरी,2021 को अपराह्न 12.15 बजे विभागीय कक्ष संख्या 17 में एक गोष्ठी होगी। जिसकी तैयारी पूर्ण हो चुकी है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी रहेंगे।
परिसर निदेशक प्रोफेसर नीरज तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इतिहास विभाग द्वारा कुली बेगार प्रथा को लेकर गोष्ठी कराई जानी, एक अच्छी पहल है। इस आंदोलन में जनभागीदारी भी रही है। इस आंदोलन से कई नेता जुड़े हैं,जिन्होंने सामाजिक अलख जगाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस गोष्ठी में शिक्षक, छात्र-छात्राएं और गणमान्य व्यक्ति भी शामिल होंगे।