“एक पहचान” – युवा कवियत्री गुंजन जोशी की स्वरचित कविता…..

“एक पहचान”

जी हाँ, पहाड़ से हुँ!
ये बात सिर्फ कहती ही नहीं
हर रोज मैं जीती भी हुँ ,
आधार कहना भी काफी नहीं
पहचान अपनी इसे समझती हुँ,
जी हाँ, पहाड़ से हुँ!!

यहाँ सिर्फ पहाड़ ही तो नहीं
शांति और सुकून से रहती हुँ ,
पाश्चात्य सभ्यता की मैं दीवानी नहीं
हर सभ्यता का आदर भी करती हुँ,
कुछ नही, सब कुछ खास है यहाँ
शायद तभी बताते थकती नहीं हुँ,
जी हाँ, पहाड़ से हुँ !!

देवताओं की भूमि है ये
यहाँ रहने को अपना सौभाग्य समझती हुँ,
थोड़ी भोले तो थोडी़ चालाक ही सही,
शरमाती नहीं ये बात कहने में
नजर ये दुनिया से मिला कर कहती हुँ
जी हाँ ,पहाड़ से हुँ !!

~गुंजन