स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर योग निलयम शोध संस्थान द्वारा योग एवं वैदिक अध्ययन परंपराओं के व्यवहारिक अनुप्रयोग विषय पर 10 दिवसीय निशुल्क कार्यशाला का किया भव्य उद्घाटन।

दिनांक 12 जनवरी को युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद जयंती) के अवसर पर योग निलयम शोध संस्थान द्वारा योग एवं वैदिक अध्ययन परंपराओं के व्यवहारिक अनुप्रयोग विषय पर 10 दिवसीय निशुल्क कार्यशाला का भव्य उद्घाटन मुख्य अतिथि कुंदन लटवाल प्रदेश अध्यक्ष भारतीय जनता युवा मोर्चा , देवेंद्र (सह प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ),स्वामी ज्ञानमयानंद(अध्यक्ष रामकृष्ण तीर्थम) नीलम नेगी  (पूर्व प्रधानाचार्य राजकीय बालिका इंटर कॉलेज रानीखेत )द्वारा सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया ।

योग कार्यशाला के उद्घाटन अवसर अवसर पर मुख्य वक्ता  देवेंद्र ने कहा की योग भारतीय जीवन पद्धति एवं सनातन परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है। वैदिक पद्धति विश्व को भारत की अमूल्य देन है। योग के द्वारा व्यक्ति शारीरिक और मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बने रह सकता है। आज विश्व के सबसे संपन्न देश भी सुखी नहीं है तथा वह भी भारत की ओर निहार रहे हैं।योग के महत्व को समझ कर अपने जीवन में अपना रहे हैं। योग के कारण ही आज दुनिया भारत से जुड़ रही है। भारत की जीवन शैली, परंपराएं खानपान, संस्कृति को आज विश्व की सभी संस्कृतियों व सभ्यताएं अपना रही है। मुख्य अतिथि कुंदन लटवाल ने अपने उद्बोधन में कहा की योगनिलयम शोध संस्थान द्वारा अल्मोड़ा की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक नगरी में इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन एक अभूतपूर्व कार्य है योगनिलयम संस्थान उत्तराखंड का प्रथम योग संस्थान है तथा भविष्य में यह शीघ्र ही राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाएगा।

योगिनी नियम शोध संस्थान स्वामी विवेकानंद के स्वप्न को साकार करने का कार्य कर रहा। विवेकानंद के उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए के लक्ष्य योग का सार है। स्वामी विवेकानंद ने ही सर्वप्रथम योग और वेदांत का वेदांत का वैज्ञानिक प्रतिपादन दुनिया के समक्ष किया। विशिष्ट अतिथि  नीलम नेगी ने कहा कि ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र साधन योग है । आज विश्व योग के वैज्ञानिक स्वरूप को अपना रहा है । अमेरिका रूस जापान चीन कोरिया आदि देशों ने योग के स्वास्थ्य पर महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे अपनाने पर जोर दिया है। आज मेडिकल साइंस से भी योग के महत्व को स्वीकार कर रहा है।

योग कार्यशाल के कार्यक्रम अध्यक्ष स्वामी ज्ञानानंद  ने कहा अपने आशीर्वचन में कहा की भारतीय योग परंपरा विश्व समुदाय के लिए भारत की अमूल्य देन है। योग चित्त की चंचलता को समाप्त करने का उपाय है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य भी योग करता है ।इसके साथ ही श्रीमद्भागवत गीता के सभी अध्याय और सभी 18 जिलों में योग की ही चर्चा की गई है।
योग कार्यशाला में 115 प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण कराया है यह 10 दिवसीय विशेष योग कार्यशाला में सभी प्रतिभागी योग के विभिन्न ने अंगों ज्ञान योग भक्ति योग कर्म योग अष्टांग विन्यास एक्यूप्रेशर मर्म चिकित्सा संस्कृत वेदांत आदि विषयों का जनता से अध्ययन कर सकेंगे।

उद्घाटन अवसर पर प्रोफेसर एन0 डी0 कांडपाल ,अनिल कांडपाल ,  जगदीश नेगी , अजय वर्मा , राकेश भंडारी ,गोकुल खनी, अमित जोशी ,उदित कोठारी ,रितिक , अखिलेश मिश्रा खजान जोशी कृष्णा बिष्ट, मोनिका तिवारी, नमिता भट्ट, विमला शाही, कमल जोशी ,हिमानी बारकोटी, अपर्णा कड़ा कोटी, प्रियंका जोशी, हिमानी दानू, वीरेंद्र सिंहः,दीपिका नेगी,गरिमा फर्त्याल, निकिता गुरुरानी, भावना पांडेय,यशपाल भट्ट आदि उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन मोनिका तिवारी नमिता भट्ट ने संयुक्त रूप से किया।