“वक्त की यादे” – युवा कवि अखिलेश टम्टा की स्वरचित कविता

कभी दिन रात का साथ था,
आज दिन रात की दूरियां,,

कभी सुबह से शाम भी कम लगता था,
आज दिन रात भी मुश्किल से कट रही है,

एक समय था जब हम साथ थे ,,
आज सालों से तेरे दीदार को तरशती है आंखे,,,

एक वक्त था बाते ही खत्म नहीं होती थी,
आज ऐसा वक्त है शुरू ही नहीं होती है,,

कभी ना दूर जाने वादा किया था,,
आज पास आने से कतराते है,,

वक्त है साहब पुराना समान और पुराने लोग,,
अक्सर कूड़े और कीलो में ही मिलते है,,

करोगे याद तो हर बात याद आएगी,,
बस बात एहसासों की होती है,,

वरना निभाने वाला तो निभा ही लेता है,,
खेलने वाला तो शतरंज की तरह बाज़ी ही खेलता है,,,

कुछ नहीं चाहिए मुझे अब,,
जो दिया है आपने वो क्या कम है,,,

खुश रहो हमेशा यही दुआ है,
मेरी खुशियां तो तुमसे ही है।

अखिलेश टम्टा