“राष्ट्रवीरों की छवि” – आर्मी दिवस के उपलक्ष्य पर रीता बिष्ट की रचना….

हौसले जिनके बुलंद थे,जुनून उनका उम्दा था
उम्मीदें उनकी खरी,जोश उनका फकरा था
जज्बे की क्या दाद दे, हुनर उनका काबिले तारीफ था
समुद्र सी गहरी सोच ,उनमें सैलाब सा भरा तूफान था
मौत से बेखौफ, बेबाक ,निडर जिंदगी से बेफिक्र,
एक शब्द से हो अगर शुरुआत, होता है उनका निबंध से जिक्र
उनके विचार हैं अनमोल ,उनकी बातों का ना था कोई मोल
देश की सेवा में सदैव मगरूर रहते थे,
अपने मुल्क राष्ट्रभक्ति में वे सदा मरहूम रहते थे
नाम उनके अनेक है ,अल्लाह के बंदे इरादे उनके नेक थे
आज हमारे बीच ना रहकर भी वह अमर है , नाम उनका अजर है
गुणों का बखान करना आसान नहीं दोस्तों,अदब से लेना उनका नाम है
सर्वोपरि वो देश भक्त जिनके कारण आज यह देश महान है
उनका नजरिया था कि ,छोटा या बड़ा न कोई कर्म है
जरिया अगर मंजिल का हो तो कर्म से बड़ा ना कोई धर्म है
उन शहीदों ने अपनी जान हथेली पर रख कुर्बान की है ,
ऋण है उनका हम पर आज ये आजादी उन्हीं के नाम की है
बयाॅ करें तो कैसे ,शब्द कम पड़ जाए
आज उन शहीदों को याद कर अश्कों से आंसू ना छलक जाए,
ऐ खुदा ऐसी एक मेहर कर दे ,उन प्रेरणादायियो को पुनर्जन्म दे
उन महापुरुषों की जरूरत है इस अधूरे संसार को ,
दुआ करते हैं हम उन महानहस्तियों का जन्म बार-बार हो,
इस धरती पर इंसान ना अपना मजहब आंक,
यह तो हिंदुस्तान है इंसान की जात नहीं ,खूबी झांक
मनुष्य छोटा या बड़ा नहीं, राष्ट्रवीरो का गौरव हो यही सम्मान सही