योगनिलयम शोध संस्थान द्वारा निशुल्क 10 दिवसीय निशुल्क योग कार्यशाला के 3 दिवस हुए पूर्ण, आप भी कर सकते हैं प्रतिभाग….

योगनिलयम शोध संस्थान द्वारा विनायक उत्सव भवन माल रोड अल्मोड़ा में संचालित 10 दिवसीय निशुल्क योग कार्यशाला के आज तीसरे दिन योगनिलयम शोध संस्था के निदेशक डॉक्टर प्रेम प्रकाश पांडे ने भारतीय योग परंपरा के इतिहास व महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग जीवन जीने की कला है। योग शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। योग के जनक आदि योगी शिव को माना जाता है। इसके पश्चात महर्षि पतंजलि ने सनातन परंपरा में इस योग को सूत्र बद्ध करते हुए 195 सूत्रों में योग दर्शन की रचना की। योग की परंपरा के साथ ही डॉक्टर प्रेम प्रकाश ने भारत की प्राचीन गौरवशाली वैज्ञानिक परंपरा पर भी प्रकाश डाला कोमा उन्होंने बताया कि हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में वेद प्राचीनतम है। वेदों में ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद, यजुर्वेद आदि में ज्ञान का असीमित भंडार पड़ा है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक, सुश्रुत रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजो का महत्वपूर्ण योगदान है। खगोल विद कॉपरनिकस से 1000 साल पहले ही आर्यभट्ट ने पृथ्वी की गोल आकृति व इसकी अपनी धुरी पर घूमने की पुष्टि कर दी थी उन्होंने सिद्धांत शिरोमणि और कर्ण कुतूहल नामक दो ग्रंथों की रचना की। यजुर्वेद में ही बारह शून्य अर्थात दस खरब तक की संस्था का उल्लेख है। सुनने का आविष्कार भी भारत की ही है। इसी प्रकार अंकगणित, बीजगणित, चिकित्सा, भौतिक, रसायन, धातु विज्ञान आदि वैज्ञानिक विधाओं का हमारे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है।


इससे पूर्व आज के प्रातः एवं सायकलीन अभ्यास सत्रो में आसनों के अंतर्गत भू नमन आसन, हनुमान आसन तथा चंद्रासन, उष्ट्रासन, धनुरासन, वज्रासन, मकरासन, जानू शिराशन आदि तथा प्राणायाम के अंतर्गत सूर्यमेदन प्राणायाम कपालभाति, भ्रामरी, आदि के साथ सविता ध्यान का अभ्यास कराया गया।