“जुनून” – रश्मि नेगी की स्वरचित कविता

जोश सा था, मेरे अंदर
मेरा जोश, मेरा जुनून बन गया

रास्ते में मेरे आई कई रुकावटें
मेरे जुनून ने उनका डटकर सामना किया
लाखों लोगों ने कोशिश की मेरे हौसलों को दबाने की
मेरे जुनून ने मेरे हौसलों को दबने न दिया
जोश सा था, मेरे अंदर
मेरा जोश, मेरा जुनून बन गया

हुई कभी हताश, हुई कभी परेशान
मेरे जुनून ने मुझे व्यर्थ की चिंता त्यागने को कहा
लाख चाहा कुछ लोगों ने मुझे गिराना,
मेरे जूनून ने मुझे गिरने न दिया
जोश सा था, मेरे अंदर
मेरा जोश, मेरा जुनून बन गया

हुई जब भी मैं निर्बल, मेरा जुनून साथी बनकर मेरे साथ रहा
न होने दिया निराश, न होने दिया उदास
हमेशा मुझे आगे बढ़ने को प्रेरित किया
कैसे करूं मैं धन्यवाद उस जुनून का, जिसने हर कदम पर मेरा साथ दिया
जोश सा था, मेरे अंदर
मेरा जोश, मेरा जुनून बन गया