मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति द्वारा आयोजित सात दिवसीय रचना दिवस महोत्सव की श्रृंखला में छठे दिन के कार्यक्रम में हिन्दी कवि सम्मेलन का आयोजन राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा के सभागार में किया गया। वही जीजीआईसी में चल रहे दो दिवसीय संस्कार गीत कार्यशाला का समापन हुआ।
हिंदी कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि त्रिभुवन गिरी महाराज व विशिष्ट अतिथि डॉ सैयद अली हामिद वरिष्ठ कवि एवं पूर्व विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम में हल्द्वानी बाजपुर, अल्मोड़ा और अन्य स्थानों से कवियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में नीरज पंत, शगुफ्ता(कशिश),चन्द्रा उप्रेती, मनीष पन्त, दीपांशु कुँवर, मयंक कुमार, रोहित केसरवानी, विवेक बादल बजपुरी, ललित तुलेरा, पवनेश ठाकुराठी, त्रिवेंदर जोशी, विनीता जोशी, नीरज बवाडी़, मीना पांडे आदि रचनाकारों द्वारा काव्य पाठ किया गया। सर्वप्रथम शगु़फ्ता ‘कशिश’ द्वारा रचना प्रस्तुत की गई जिसके बोल थे, ‘मेरी हर शब्द का सुनहरा ख्वाब’ एवं ‘जिंदगी की मुश्किलें मेरा कुछ न बिगाड़ पाएंगी’। तत्पश्चात चन्द्रा उप्रेती द्वारा, ‘कितना प्यारा राज्य हमारा उत्तराखंड’, ‘किसी के दुःख में साथ निभाना अच्छा लगता है’ सुनाई गई। पवनेश ठकुराठी द्वारा ‘तेरी याद में रह-रह निस दिन अकुलाता है ओ प्रवासी पंछी तुझे गांव बुलाता है। त्रिवेंद्र जोशी द्वारा ‘आपदा के कहर से देवभूमि सिहर गई सोचिये प्रकृति एक बार क्या इशारा कर गयी’ दीपांशु कुंवर द्वारा ‘टोपी वाले इंसानों से डर लगता है देश में बैठे गद्दारों से डर लगता है’। मयंक कुमार द्वारा, ‘मैं भोर का उगता सूरज और डूबती खूबसूरत शाम होना चाहता हूं कविता सुनाई गई। रोहित केसरवानी द्वारा, ‘प्रकृति का तांडव होता है सर्वलोक तब रोता है’। विवेक बादल बाजपुरी द्वारा ‘वही भोले की नगरी है वही कान्हा का वृन्दावन’। ललित तुलेरा द्वारा ‘पहाड़ अब शिक्षित हो चुका है, अब जागरूक हो चुका है’। मनीष पंत द्वारा ‘अदावत में उठी आवाज को यूं छांट देता है लुटेरा लूट के दो चार सिक्के बांट देता है’। विनीता जोशी द्वारा ‘बहे ना सुहागन की आँखों का काजल महफ़ूज़ रखना हर एक माँ का आँचल’ मीना पांडे जी द्वारा ‘जड़ों से टूट ठूंठ रह जाता है आदमी विस्थापितों के लिये बने दस्तावेजों में कैद’। किरन पंत द्वारा ‘जब आकाश धरा से कहता है तेरी कोख में जब कोई रोता है’। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नीरज पंत जी ने ‘तुमसे नजरें क्या मिली सूरज ने चमकना छोड़ दिया’ पंक्तियों से समा बांध दिया, गाजियाबाद से पधारे नीरज बवाडी़ ने उतरायणी पर अपने अभियान पर रचना पढ़ी। साथ ही कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि द्वारा आशिष वचन व कुछ रचनाएं भी पढ़ी गई। सभी कवियों को पुष्पगुच्छ सम्मान पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन मीना पांडे वो संयोजन किरन पंत वर्तिका द्वारा किया गया।