“नारी” – महिला दिवस पर मानसी जोशी की स्वरचित कविता

नारी

किस रूप में पूजू तुम्हें,
दुर्गा सरस्वती या काली,
हर रूप में आकर तुमने रक्षा की हमारी।

प्रेम की मूरत और करुणा की सागर है नारी,
अपार शक्ति का भंडार तो नवदुर्गा का रूप है नारी,

दया की भावना और त्याग की देवी है नारी,
आत्मविश्वास से परिपूर्ण लक्ष्मीबाई है नारी,

कामिनी है देवी और रमणी का रूप है नारी,
परिश्रम से परिपूर्ण है आज की नारी।

चाँद पर पहुंच गई है नारी,
विमान उड़ा रही है भारत की नारी,
ऊंचे ऊंचे पदों पर है भारत की नारी,
राष्ट्रपति भी बन गई ही नारी।

देश की आन बान और शान है नारी से,
और आने वाला कल है नारी से,
और आने वाला कल है नारी से।।

मानसी जोशी