“औरत” – महिला दिवस पर तनुजा दोसाद की स्वरचित कविता

औरत होती एक माँ, एक बहन, एक बहु और एक नारी,
जो बुरे वक्त पे पड़ जाती है सबपे भारी।
क्यों करता है एक पिता कन्यादान,
खोकर अपना मान सम्मान।
नारी सम्मान राष्ट्र सम्मान को क्यों नही मानते,
जब सब कुछ हो तुम जानते
औरत कभी माँ कभी दुर्गा तो कभी काली है,
फिर भी सबसे निराली है।
मत किया करो औरतो का अपमान,
हमेशा करो तुम उनका सम्मान।
फिर भी लोग करते है भ्रूण हत्या,
जब जानते है औरत ही है जिंदगी का सत्य।
औरत होती है नादान तभी तुम बन जाते हो शैतान,
कब दूर करोगे अपना ये अभिमान।

तनुजा दोसाद