10 दिवसीय राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी जारी एवं ऐपण कार्यशाला मे दिये गये दिशा निर्देशों द्वारा प्रतिभागी कलाकार ऐपण कला के पारम्परिक रूपों का निमार्ण कर रहे है। इस कार्यशाला के माध्यम से कुमाऊँ की परम्परागत लोकचित्र रूप ऐपण के विभिन्न भावमय रूपों के संयोजन का उददेश्य व अर्थ समझने का प्रयास भी कर रहे है। जिससे आधुनिक कला, तकनीक और माध्यम में ऐपण के रूपों का अर्थपूर्ण सृजन प्रस्तुत कर सकें और उसे समझकर दूसरों को भी समझा सके। ऐपण कार्यशाला को आयोजित करने का मूल उद्देश्य उत्तराखण्ड की इस लोककला रूप के विविध धार्मिक, आध्यात्मिक और पारंपरिक पक्षों को आमजन समूह के समक्ष उजागर करना है।
कार्यशाला संयोजिका एवं दृश्यकला संकायाध्यक्ष प्रो. सोनू द्विवेदी ‘शिवानी’ ने बताया कि लोकचित्र ऐपण बनाने वाले कलाकार आसानी से स्वरोजगार की दिशा में कार्य कर सकते है। वर्तमान में दृश्यकला संकाय और चित्रकला विभाग के कई विद्यार्थी इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर धर्नाजन कर रहे है। इस तरह के कला कार्यशाला का स्थानीय स्तर पर आयोजन होना अत्यंत ही आवश्यक है जो कि स्थानीय परम्परा के कलात्मक रूपों के प्रचार-प्रसार में अत्यंत सहायक सिद्ध होता है। कार्यशाला का आयोजन पडित गोविन्द बल्लभ पंत लोक कला संस्थान अल्मोडा, संस्कृति विभाग उत्तराखड तथा दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। भविष्य में भी इस तरह के कार्यशाला का आयोजन और व्यापक स्तर पर किया जायेगा जिससे कि कुमाऊँ क्षेत्र की इस कला से राष्ट्र स्तर पर लोग परिचित हो और स्थानीय कलाकारों को रोजगार मिल सके।
इस अवसर पर कार्यशाला में सन्तोष सिंह मेर, कौशल कुमार, चन्दन आर्या, रमेश मौर्य, पूरन सिंह, जीवन जोशी, पवन यादव, बिना खाती, चित्ररेखा पत, मानसी चन्दा, योगेश उसीला, कंचन कृष्णा, कुमकुम पाण्डे, शियम कुमार आदि सहयोग कर रहे हैं।