10 दिवसीय राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी अनुभूति -03 एवं ऐपण कार्यशाला का हुआ समापन

पेटिंग प्रदर्शनी, ऐपण कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का समापन कल अपराहन 1 बजे प्रदर्शनी कक्ष दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा में हुआ। समापन सत्र में अतिथि के रूप में प्रो. नीरज तिवारी परिसर निदेशक, प्रो. जगत सिंह बिष्ट शोध निदेशक, प्रो. सी. एम. अग्रवाल एवं दिल्ली से पधारे गणमान्य अतिथि प्रो. मेहता डॉ. चन्द्र सिंह चौहान, क्षेत्रीय प्रभारी पंडित गोविन्द बल्लभ पंत लोक कला संस्थान अल्मोड़ा एवं प्रो. सोनू द्विवेदी ‘शिवानी’ संकायाध्यक्ष दृश्यकला एवं अध्यक्ष चित्रकला विभाग ने संयुक्त रूप से देवी सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया।

ऐपण कार्यशाला व प्रतियोगिता में कुल 75 युवा प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया था। जिनमें से 10 सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों का चयन दृश्यकला एवं चित्रकला के शिक्षकों के प्रथम राउंड चयन के बाद प्रो. जगत सिंह बिष्ट, प्रो. मेहता, प्रो. सोनू द्विवेदी तथा डॉ चन्द्र सिंह चौहान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। समस्त अतिथियो द्वारा प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा दो सांत्वना पुरस्कार क्रमशः शिवानी विश्वकर्मा, नेहा उपाध्याय, पूर्णिमा रौतेला, भावना जोशी, संध्या बडोनी को प्रमाण -पत्र के साथ प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

दस दिवसीय राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी-हमारी विरासत हमारी अमूल्य धरोहर ‘भारतीय संस्कृति व कला’ में कुल 100 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया था जिनमें से प्रथम चरण में सर्वश्रेष्ठ 10 कलाकृतियों का चयन एवं द्वितीय चरण में पाँच प्रथम सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों के कलाकारों क्रमशः योगेश डसीला, ज्योति, हर्षिता बिष्ट, सुगम गौर, मीनाक्षी जोशी, तरूण आर्य को प्रमाण – पत्र तथा प्रो l. सी. एम. अग्रवाल द्वारा स्मृति चिन्ह के रूप में जूट बैग दिया गया।

अतिथियों का स्वागत प्रो सोनू द्विवेदी शिवानी प्रदर्शनी संयोजिका द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. चन्द्र सिंह चौहान द्वारा किया गया अन्त में सभी अतिथियों द्वारा एक चित्र उतारकर प्रदर्शनी का समापन किया गया। 

प्रो.जगत सिंह बिष्ट ने प्रतिभागियों को लोककला का महत्व समझाया और इसे आगे बढ़ाने की प्रेरणा और हर संभव मदद करने की बात कही।

प्रो. नीरज तिवारी ने युवा कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना और कहा कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन में सहयोग प्रतिभा विकास हेतु करना उनकी प्राथमिकता होगी।

प्रो. सी.एम. अग्रवाल ने कहा कि दृश्यकला संकाय एवं चित्रकला विभाग के विद्यार्थियों का सहयोग व कलात्मक प्रदर्शन अभूतपूर्व है जिसकी सराहना अन्तराष्ट्रीय रोमिनार में देश – विदेश से आये अतिथियों ने भी किया है। 

प्रो. मेहता ने कहा कि मैने अपने जीवन में इतनी बड़ी प्रदर्शनी का इतना अनुशासन पूर्ण संयोजन शायद नही देखा ऐपण कला के कलात्मक रूप अत्यन्त उत्कृष्ट है इसका विकास राष्ट्र स्तर पर होना चाहिए।

डॉ. चन्द्र सिंह चौहान ने कलाकारो के कलात्मक कौशल की प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं भविष्य में भी इस तरह के कार्यशाला का आयोजन करने का प्रयास करूंगा और युवा कलाकारों को उत्तराखण्ड संस्कृति विभाग से प्रतिभा विकास और शिक्षण सहयोग हेतु आर्थिक सहायता दिलाने का प्रयास करूंगा। 

प्रो. सोनू द्विवेदी शिवानी ने कहा कि दृश्यकला संकाय व चित्रकला विभाग के विद्यार्थी अत्यन्त अनुशासित और प्रतिभा सम्पन्न है पुरस्कार प्राप्त प्रतिभागियों से अधिक बधाई के पात्र वह सभी प्रतिभावान प्रतिभागी रहे है जिन्होने इतना बड़ा आयोजन पूर्ण करवाया है। उन्होने कहा कि कला एक ऐसा गुण है जो कि कलाकार को स्वरोजगार की दिशा स्वयं देता है। मुझे गर्व है कि मेरे पास बहुमुखी प्रतिमा सम्पन्न विद्यार्थी और शिक्षक है कोई भी आयोजन सभी के सकारात्मक सहयोग व प्रयास से ही साकार रूप में आ पाता है।

कार्यक्रम का संचालन कौशल कुमार, चन्दन आर्या, रमेश चन्द्र मौर्य तथा पवन यादव अतिथि व्याख्याताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

अतिथियों का स्वागत दृश्यकला एवं चित्रकला के छात्र – छात्राओं द्वारा बनाये गये पुष्प गुच्छों से क्रमशः राजन चन्द्र जोशी, कृष्णा नेगी, सन्तोष सिंह मेर एवं पूरन मेहता ने किया। 

सरस्वती वन्दना स्वागत गीत एवं लोकगीत का प्रस्तुतिकरण नाजिम अली तथा कंचन कृष्णा द्वारा किया गया। समापन सत्र मे 150 से अधिक छात्र/छात्राएं उपस्धित रहे समस्त प्रतिभागी कलाकारो को अतिथियों द्वारा प्रमाणपत्र दिया गया।